बीते दिनों संयुक्त व्यापार संघ गुट के अध्यक्ष नवीन गुप्ता के नेतृत्व में कुछ व्यापारियों और भाजपा नेताओं द्वारा मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष का घेराव कर काफी तीखी टिप्पणियां की गई। हंगामा करने वालों में अपने आप को सत्ताधारी दल के प्रमुख नेताओं के निकट बताने वाले ज्यादा लोग मौजूद थे और उनके द्वारा जो आरोप लगाए जा रहे थे वो अब पूरी तौर पर बेबुनियाद और निराधार साबित हो रहे हैं क्योंकि एमडीए वीसी का कहना है कि कंकरखेड़ा स्थित डिफेंस एन्कलेव के सामने जिस अवैध निर्माण गिराने को लेकर बवाल हुआ वो जमीन प्रवर्तन अनुभाग की प्रारंभिक जांच में मेडा की श्रद्धापुरी फेस वन की तथा रोड बाइडिंग की निकली और यह जमीन 60 से 70 करोड़ की बताई जा रही है। बताते हैं कि यह जमीन रोडवेज बस अडडे के लिए आरक्षित है। जिस पर बनी दुकान को 50 साल पुराना बताया जा रहा है। प्राधिकरण उपाध्यक्ष का बयान आने से यह तो स्पष्ट हो गया कि बवाल करने वाले अपने स्वार्थ के निहित और अपनी कार्यप्रणाली पर पर्दा डालने के लिए शायद मेडा कार्यालय पहंुचे थे लेकिन सवाल उठता है कि संयुक्त व्यापार संघ नवीन गुट के अध्यक्ष नवीन गुप्ता को क्या यह जानकारी थी कि उक्त जमीन मेडा की है और उस पर कब्जा किया जा रहा है। अगर थी तो फिर वो क्यों आए और नहीं थी तो जितना बड़ा बवाल किए जाने से पहले उन्हें जानकारी करनी चाहिए थी। मेडा वीसी का अब यह कथन कि प्रारंभिक रिपोर्ट से व्यापार संघ पदाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। ऐसा क्यों यह तो वही जाने लेकिन उन्हें सांसद विधायकों और सीएम को पूरी स्थिति से अवगत कराना चाहिए व्यापार संघ के नेताओं को नहीं। क्योंकि नियम सरकार ने बनाए हैं और पालन अधिकारियों को कराना हैं कुछ व्यापारी नेता बीच में कहां से आ गए।
वीसी के घेराव प्रकरण में सांसद अरूण गोविल के प्रतिनिधि बताए जाने वाले चंद्रशेखर की जो स्थिति मोबाइल पर वीसी के साथ हुई वार्ता के बाद उभरकर आई है उसे लेकर चर्चाएं हो रही है और विपक्षी दल भी इस पर मुखर हो सकते हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि क्या चंद्रशेखर को यह जानकारी थी कि मेडा की जमीन पर कब्जा हो रहा था या उन्होंने गैर जिम्मेदार वार्तालाप कर सरकार की नीतियों के विरूद्ध वीसी से दुव्यर्ववहार किया। कुछ मेडा और भूमाफियाओं और अवैध निर्माण करने वालों की गतिविधियों की जानकारी रखने वालों का यह भी कहना है कि सांसद प्रतिनिधि चंद्रशेखर को जमीन के उपयोग और वह किसकी है यह जानकारी जरूर थी वरना जिस व्यक्ति ने उनकी बात कराई उससे उन्हें पूछना चाहिए था क्योंकि सांसद के प्रतिनिधि के रूप में जो शब्द इस्तेमाल किए गए उसे करने से पहले इसमें कितनी सच्चाई है यह तो जांच का विषय है चंद्रशेखर के द्वारा इसमें इतना बड़ा कदम उठाने के चलते कोई संलिप्पता हो सकती है इसकी जांच उच्च स्तर पर हो या विपक्षी दल मांग करें उससे पहले खुद सांसद अरूण गोविल को अपने प्रतिनिधि से जवाब तलब करना चाहिए क्योंकि ऐसे मामलों से जनप्रतिनिधियों की बदनामी होती है और ऐसी संभावनाएं बनती है कि वो या उनके सहयोगी सरकारी नीतियों का विरोध कर उसे कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। खबरों के अनुसार सरकारी जमीन घेरने और हरित पटटी रोड बाइडिंग की जमीन पर कब्जा करने का यह अकेला मामला नहीं है। मेडा वीसी को चाहिए कि सहयोगियों की हर बात पर विश्वास करने की बजाय अपने कार्यक्षेत्र का दौरा करके देखें तो साठ करोड़ नही 600 करोड़ से ज्यादा के भूमि घोटाले मिल सकते हैं क्योकि यहां पर कच्ची कॉलोनियां अवैध निर्माण हरित पटटी रोड बाइडिंग की जमीन घेरे जाने की बाढ़ आई हुई बताई जाती है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सहयोगियों पर आंख मींचकर विश्वास करने की बजाय, मेडा वीसी का घेराव सांसद प्रतिनिधि की भूमिका की हो जांच, उपाध्यक्ष जी 60 नहीं 600 करोड़ से भी ज्यादा के मामले रोड बाइडिंग अवैध निर्माण हरित पटटी की भूमि घेरे जाने के मिल जाएंगे
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