दैनिक केसर खुशबू टाइम्स
आए दिन कुछ संस्थाओं, एनजीओ आदि द्वारा सर्वे कर अपनी रिपोर्ट दी जाती है। अब उनका आधार क्या होता है और ईमानदारी से उसका कितना पालन किया जाता है तथा प्राप्त हुए सर्वे को देखने और उस पर निर्णय लेने का आधार क्या होता है। यह तो तय करने वाले ही जाने लेकिन 2025 के खुशहाली को लेकर भारत के जारी हुए सूचकांक में उसे 118वें स्थान पर रखा गया है। इस संदर्भ में श्रीश्री रविशंकर ने इस पर निराशा जताते हुए कहा है कि देश अपने मजबूत सामाजिक बंधनों, मानवीय मूल्यों के चलते कहीं उंचे स्थान का हकदार है। उन्होंने जांच एजेंसी द्वारा दी गई रैंकिंग की निंदा करते हुए कहा कि यह पूर्णतया सत्य नहीं है। मैं हमेशा ही भारत को लेकर जब इस प्रकार के सर्वे जारी होते हैं तो कई को लेकर उनका विरोध करता रहा हूं क्योंकि जब उन्हें पढ़ा जाता है तो लगता है कि यह स्थिति कहीं ओर की है और दर्शा भारत को दिया है। अब स्थिति यह हो गई है कि रविशंकर जैसे महापुरूषों द्वारा इनकी आलोचना की जा रही है। मेरा मानना है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आज पूरी दुनिया में भारत का नाम और मान दोनों बढ़ रहे हैं और हो सकता है कि सरकारी दावों के अनूकुल काम ना हो रहे हों मगर जो सूचकांक जारी किया गया है वैसी स्थिति कहीं नजर नहीं आती है। इसलिए केंद्र सरकार को सूचकांक एजेंसी से अपना ऐतराज जताया जाना चाहिए और वह अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं करती है तो उसे भारत में प्रतिबंधित किया जाए। कि उसका कोई सर्वे अपने यहां प्रकाशित ना हो पाए क्योंकि ऐसे सूचकांकों से नागरिकों में निराशा की स्थिति बनने से इनकार नहीं किया जा सकता और नागरिक इसे पसंद नहीं करते इसलिए उनमें इसे लेकर दुख भी होता है जो खुशहाल आदमी के लिए सही नहीं है। इन तथ्यों को ध्यान में रखकर सभी सर्वे एजेंसियों के प्रमुखों को पत्र लिखा जाए कि वो तथ्यपरक स्थिति उजागर करें। सिर्फ सनसनी फैलाने या कुछ लोगों के कथन को लेकर भारत को बदनाम करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।
प्रस्तुति: अंकित बिश्नोई
मजीठियां बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री
खुशी सूचकांक जारी करने वाली एजेंसी को भारत सरकार करे प्रतिबंधित
0
Share.