नई दिल्ली 19 नवंबर। भारत ने स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से GSAT-20 के प्रक्षेपण के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। यह पहली बार है जब ISRO की कमर्शियल ब्रांच न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने उपग्रह तैनाती के लिए स्पेसएक्स के साथ पार्टनरशिप की है। प्रक्षेपण के 34 मिनट बाद उपग्रह रॉकेट से अलग हो गया। इसके बाद सफलतापूर्वक अपनी जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित हो गया।
NSIL के चेयरमैन और एमडी राधाकृष्णन डी ने सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि स्पेसएक्स को पिछले साल हमारे तरफ से जारी RFP के आधार पर चुना गया था। अन्य बोलीदाता भी थे। यह एक नई शुरुआत है क्योंकि हम उनकी धरती से एक अमेरिकी रॉकेट के जरिये लॉन्च कर रहे हैं। वर्तमान समझौता केवल इसी लॉन्च के लिए है, और हम भविष्य की आवश्यकताओं पर विचार करेंगे।
जीसैट-20 की मुख्य विशेषताएं
जीसैट-20 उपग्रह, उपग्रह कम्युनिकेशन में अत्याधुनिक प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें भारत की बढ़ती कनेक्टिविटी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनुकूलित विशेषताएं हैं।
हाई डेटा क्षमता: 32 बीमों में 48 जीबीपीएस की थ्रूपुट के साथ।
उपग्रह अंडमान, निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूह जैसे दूरदराज के क्षेत्रों तक मजबूत ब्रॉडबैंड कवरेज सुनिश्चित करता है।
Ka-बैंड टेक्नोलॉजी: Ka-बैंड फ्रीक्वेंसी का उपयोग करते हुए, जीसैट-20 को इन-फ्लाइट इंटरनेट सेवाओं और स्मार्ट सिटी पहलों का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
स्थायित्व और दक्षता: सैटेलाइट को 14 साल के मिशन लाइफ के लिए बनाया गया है।
इसमें सीएफआरपी संरचनाओं और ली-आयन बैटरी सहित एडवांस सामग्री है।
भारत के अंतरिक्ष व्यवसायीकरण के तहत स्थापित NSIL को उपग्रह मिशनों का स्वामित्व, संचालन और वित्तपोषण करने का काम सौंपा गया है। इसने पिछले साल जून 2022 में GSAT-24 मिशन के साथ भारत के उपग्रह उद्योग में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी के लिए एक मिसाल कायम की। अब, GSAT-20 का लॉन्च NSIL के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत में कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। यह सरकार के डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने और राष्ट्रीय विकास में अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी के लाभ का उपयोग करने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।