asd तंबाकू सेवन की रोकथाम पर भारत को मिला अंर्तराष्ट्रीय अवॉर्ड, देश में चला नशा छोड़ों अभियान, जनहित में मादक पदार्थों के उत्पादन पर सरकार लगाये रोक

तंबाकू सेवन की रोकथाम पर भारत को मिला अंर्तराष्ट्रीय अवॉर्ड, देश में चला नशा छोड़ों अभियान, जनहित में मादक पदार्थों के उत्पादन पर सरकार लगाये रोक

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हम सबके लिए यह बड़े सम्मान की बात है कि इस वर्ष तंबाकू नियंत्रण के लिए किये गये उल्लेखनीय कार्यों हेतु भारत के स्वास्थ मंत्रालय को आयरलैंड की राजधानी डबलिन में आयोजित विश्व तंबाकू नियंत्रण सम्मेलन में ब्लूमबर्ग फिलान्थ्रपीज ग्लोबल टोबैको कंट्रोल अवॉर्ड मिला है। यह पुरस्कार उसे ओ श्रेणी में मिलना बताया गया है। खबर है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दिशा निर्देशों में नशे जैसी कुरीतियों से आम आदमी को दूर रखने के लिए चलाये गये अभियान हेतु पुरस्कार देने के साथ ही आयोजकों ने भारत के प्रयासों की सराहना भी की। बताते चले कि भारत की व्यापक पहल से प्राप्त उक्त उपलब्धि राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 675 से अधिक तंबाकू मुक्ति केन्द्र जिलाअस्पतालों में स्थापित किये जाने और वहां 2023-24 में 13.5 लाख परामर्श सत्र आयोजित करने के उपलक्ष में मिला बताते है।
प्रिय पाठकों मानव जीवन के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक और परिवारों की आर्थिक तंगी की मुख्य वजह नशे को छुड़वाने एवं मादक पदार्थों का उपयोग और व्यापार रोकने हेतु हर वर्ष 26 जून को नशा छोड़ो जीवन जोड़ो भावना के तहत अंर्तराष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस मनाया जाता है। जिसमें मादक द्रव्य व नशीले पदार्थों के सेवन से बचने व औरों को बचाने का संकल्प लिया जाता हैं।
इस वर्ष भी उप्र के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा इस मौके पर नागरिकों से अपील की गई है कि वो जीवन पर नाकारात्मक प्रभाव डालने तथा समाज व राष्ट्र की प्रगति में बाधा उत्पन्न करने के प्रति जागरूकता हेतु इस दिवस का उद्देश्य जन मानस में नशे के दुष्परिणाम के प्रति जागरूकता फैलाना और अवैध मादक पदार्थाें के कारोबार पर रोक लगाने में सहयोग करें तथा नशा पीड़ित व्यक्तियों के प्रवास के लिए समर्थन जुटाने हेतु आज की तारीख में आवश्यकता है कि हम सब मिलकर इस सामाजिक बुराई के विरूद्ध आवाज बुलंद करे और मिलकर यह संकल्प ले कि पूरा समाज एक जुट होकर एक नशा मुक्त जागरूक सशक्त समाज के निर्माण के लिए जागरूक करने में सहयोग करेंगे।
इस संदर्भ में अगर देखें तो समाजसेवी संस्थाऐं और नशे की लत छुड़वाने के प्रयास में लगे संगठनों के साथ ही जिलों में प्रशासन और पुलिस तथा मद्धनिषेद विभाग आदि के द्वारा साल भर विभिन्न अवसरों पर नशा विरोधी अभियान चलाये जाते है। मगर क्योंकि जहां तक नजर आता है यह सभी जो काम कर रहे है एक तो उसमें स्वास्थ विभाग की पूर्ण भागीदारी नजर नहीं आती कागजों में हो तो बात और है। मेरा मानना है कि जो अभियान चलाये जाते है उन पर कई प्रकार से भारी धन व्यय होता हैं और उसके कोई विशेष परिणाम भी निकलते नजर नहीं आते है। ऐसे में अगर सरकार स्कूल कालेजों में नशा विरोध में गोष्ठियां कराये और नशीले पदार्थों से होने वाले नुकसान से बच्चों को जागरूक किया जाए तो ज्यादा नहीं तो कुछ फर्क तो जरूर दिखाई देगा। क्योंकि ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों की बात टाल नहीं पाते है। दूसरी ओर सरकार को भी कुछ ऐसे प्रयास जरूर करने होंगे कि नशे के रूप में आम आदमी को जीवन भर की मानसिक विकलांगता बांटने वाले मादक पदार्थों का उत्पादन रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। यह सही है कि इससे कई बड़े आर्थिक नुकसान भी झेलने पड़ेगे लेकिन आम देशवासियों को नशे से दूर और इससे होने वाले नुकसानों से बचाने के लिए इतना तो सरकार को करना ही चाहिए। यह वक्त की सबसे बड़ी मांग और माननीय प्रधानमंत्री जी की भावनाऐं हर देशवासी स्वस्थ व सुरक्षित रहे के लिए भी जरूरी है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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