नई दिल्ली 22 अक्टूबर। भारत ने अपने विरोधियों के खिलाफ अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए विशाखापत्तनम में शिप बिल्डिंग सेंटर (एसबीसी) में अपनी चौथी परमाणु संचालित बैलिस्टिक मिसाइल (एसएसबीएन) पनडुब्बी को लॉन्च किया है। 16 अक्टूबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में इसको लॉन्च किया था। इसके 75% सामान भारत में ही बने हैं। इसका कोड नेम कोडनेम S4 है। ये 3500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल से लैस है।
नौसेना की S4 पनडुब्बी 3,500 किमी रेंज वाली K-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस की गई है। जिन्हें वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम के माध्यम से दागा जा सकता है। जबकि अपनी श्रेणी का पहला आईएनएस अरिहंत 750 किमी रेंज वाली K-15 परमाणु मिसाइलों को ले जा सकता है। आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघाट दोनों पहले से ही गहरे समुद्र में गश्त कर रही हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों ने भारत की पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र को एस1 नाम दिया था, आईएनएस अरिहंत को एस2, आईएनएस अरिघात को एस3, आईएनएस अरिदमन को एस4 नाम दिया गया है। अपनी श्रेणी की आखिरी पनडुब्बी एस4 है जिसका औपचारिक नाम अभी बाकी है।
हिंद महासागर में चीन से लोहा लेगी यह पनडुब्बी
हिंद महासागर में PLA यानी की चीनी सेना के युद्धपोतों की गतिविधियों को देखते हुए, भारतीय नौसेना की पनडुब्बियां चीन के खिलाफ बेहद कारगर साबित हो सकती हैं। हर महीने हिंद महासागर में 10-11 PLA युद्धपोतों की मौजूदगी के बीच, भारत की ये पनडुब्बियां इस समुद्री क्षेत्र में भारत की समुद्री ताकत में इजाफा करेंगे। कलवरी श्रेणी की INS वागशीर दिसंबर में कमीशन की जाएगी।
कुछ और पनडुब्बियां नौसेना में की जाएंगी शामिल
सरकार ने आने वाले कुछ साल में तीन और डीजल वाली पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दे दी है, जो फ्रांसीसी नौसेना समूह के साथ मिलकर मझगांव डॉकयार्ड में बनाई जाएंगी। इसके अलावा, 2028 में रूस की अकुला श्रेणी की परमाणु पनडुब्बी भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने जा रही है। यह कदम भारत को इंडो-पैसिफिक में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत बनाने में मदद करेगा।