उत्तरी भारत का प्रसिद्ध गंगा जमुनी सभ्यता भाईचारे और सदभाव के प्रतीक मेला नौचंदी का बीते दिवस अपनी परंपरा अनुसार होली से एक रविवार छोड़कर दूसरे को शुभारंभ हो गया। पहली बार मेले के उदघाटन समारोह में महापौर और जिला पंचायत अध्यक्ष सहित जनप्रतिनिधि दिखाई नहीं दिए। ऐसा क्यों हुआ इसे लेकर विचार और चर्चा उपरांत जो भी दोषी हो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए।
प्रिय पाठक बच्चा हो या बड़ा सब जानते हैं कि मेला नौचंदी एक यादगार हुआ करता था। यहां के निवासी जो दुनियाभर में जाकर बस गए वो और उनके बच्चे इस मेले को देखने भारत आते थे और यहां के निवासी भी उन्हें पत्र लिखकर आमंत्रित किया करते थे।
आठे नवमी को चंडी मंदिर में भक्तों की वजह से मेले में दर्शकों की इतनी भीड़ नजर आती थी कि कंधा से कंधा लगकर लोग आगे बढ़ते थे क्योंकि बाले मियां की मजार पर कोई ना कोई आयोजन हुआ करता था।
लेकिन जब से इस मेले को प्रांतीय मेले का दर्जा मिला है तब से अनेको कठिनाईयां दर्शाकर इस मेले की अष्टमी नवमी से संबंध जो पहचान थी वो समाप्त हो गई क्योंकि उदघाटन के लगभग 15 दिन बाद मेला शुरू हो जाता था। ज्यादातर दुकानें आ जाती थी और बाकी बुलंदशहर की नुमाईश के बाद मेले में व्यापारी पहुंच जाते थे लेकिन अब इसे नगर निगम या जिला पंचायत के अफसरों की लापरवाही कहें या जिम्मेदारी से बचना, कहा जा रहा है कि इस बार भी मेला मई में शुरू होगा।
अफसरशाही कितना हावी हो गई है इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि पिछले पांच दशक में शायद पहली बार ऐसा हुआ हो कि मेले के शुभारंभ में कमिश्नर मौजूद नहीं थे। निमंत्रण पत्र पर महापौर का नाम नहीं था। इतना ही नहीं भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य डॉ. चरण सिंह लिसाड़ी के अनुसार महापौर मेले कें उदघाटन में समय पर पहुंच गए थे लेकिन उन्हें उदघाटन व पूजा में नहीं बुलाया गया जो उनका अपमान है। इसके अतिरिक्त राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी का कहना है कि यह सही नहीं है। क्योंकि मेले का उदघाटन करने में समय के अनुसार परेशानी नहीं थी। उसके बावजूद ऐसा हुआ। पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि इस मामले में शासन को भी संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों पर उचित कार्रवाई होनी चाहिए तथा अधिकारियेां को मोह से बचना चाहिए। इसके अलावा कैंट विधायक अमित अग्रवाल और महानगर अध्यक्ष विवेक रस्तोगी सहित भाजपा नेत्री मीनल गौतम और शहर सीट से भाजपा उम्मीदवार रहे कमलदत्त शर्मा आदि ने भी इसकी निंदा की है क्योंकि मेले के उदघाटन समारोह में अफसरों का वर्चस्व रहा लेकिन जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया गया। इतना ही नहीं शायद पहली बार हुआ कि मेले के उदघाटन का निमंत्रण मीडिया को सही प्रकार से नहीं दिया गया जो पूरी तौर पर निदंनीय है। महापौर हरिकांत का यह कथन सही है कि अधिकारियों ने उनका अपमान किया।
अब जहां तक सवाल है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है तो यह बात सही है कि जिलाधिकारी डॉ. वीके सिंह का इसमें कोई दोष नजर नहीं आता है क्योंकि मेला इस बार नगर निगम लगा रहा है और नगर निगम में जो कर्मचारी हैं वो हमेशा से जानते हैं कि इस अवसर पर क्या करना होता है तथा किसका नाम निमंत्रण पत्र पर छपना चाहिए। अगर यह किसी की गलती है तो वह नगरायुक्त की है और उन्हीं से शासन को जवाब तलब करना चाहिए। डीएम ने नगर निगम को यह जिम्मेदारी सौंपी उसके बाद सभी तैयारियां नगरायुक्त द्वारा की जानी चाहिए थी। डीएम कह चुके हैं कि किसी जनप्रतिनिधि के अपमान करने का सवाल ही नहीं उठता है।
मेरा कहना है कि मंडलायुक्त को इस मामले में दखलअंदाजी कर नगरायुक्त से जवाब तलब करते हुए जांच कराकर दोषी के खिलाफ कार्रवाई के अतिरिक्त यह निर्देश देना चाहिए कि मेले का शुभारंभ तो हो चुका है अन्य आयोजनांे में जनप्रतिनिधियों प्रमुख नागरिकों और मीडिया को सम्माजनक रूप से निमंत्रण दिए जाएं और आने पर बैठने का स्थान उपलब्ध हो।
कुछ समय पूर्व सीएम योगी का बयान पढ़ा था कि अधिकारी सार्वजनिक सभा का उदघाटन करने में मुख्य अतिथि जनप्रतिनिधियों को ही बनाएं लेकिन यहां तो उन्हें निमंत्रण ही नहीं दिया गया।
जनपद में काम करने और जनसमस्याएं सुनने और उनका निस्तारण करने के मामले में सबसे ज्यादा गतिशील डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी नजर आते हैं इसलिए मेरा मानना हे कि उन्हें जनप्रतिधियों और जनता के सम्मान के लिए सीएम व शासन को पत्र लिखकर कार्रवाई करानी चाहिए। वर्तमान में जो कमेटी बनाई गई है उसमें जनता के कौन सदस्य हैं यह भी स्पष्ट रूप से साफ नहीं हो पा रहा है लेकिन यह स्पष्ट है कि मीडिया का प्रतिनिधि नहीं रखा गया है। ऐसा क्यों हुआ इसका ध्यान भी डॉ. वाजपेयी को देना चाहिए क्योंकि इस प्रकार से अगर नजरअंदाज किया जाएगा तो उसे सही नंहीं कह सकते और उन्हें मेले से संबंध सभी अधिकारियेां को बुलाकर यह समीक्षा करनी चाहिए कि मेला अप्रैल की जगह मई में क्यों शुरू होगा और यह कोशिश हो कि नवरात्रों में आने वाले भक्तों को मेले में गंदगी और अव्यवस्थाओं का सामना ना करना पड़े और सुरक्षा व्यवस्था भी कराई जाएं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
नौचंदी का उदघाटन, डीएम नहीं महापौर के अपमान के लिए नगरायुक्त हैं जिम्मेदार, वाजपेयी जी नवरात्रों में भक्तों को ना हो परेशानी ऐसी व्यवस्थाएं कराईयें
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