asd जातिगत हिंसा मामले में कोर्ट ने 101 दोषियों में से 98 को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

जातिगत हिंसा मामले में कोर्ट ने 101 दोषियों में से 98 को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

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कोप्पल 25 अक्टूबर। कर्नाटक की कोप्पल जिला एवं सत्र न्यायालय ने गुरुवार को जाति संघर्ष केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने दस साल पहले गंगावती तालुक के मरुकुम्बी गांव में हुए जाति संघर्ष मामले में 101 दोषियों में से 98 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके साथ-साथ सभी दोषियों पर 5-5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

यह मामला 28 अक्टूबर 2014 को कोप्पल जिले के गंगावती तालुका के मरुकुम्बी में हुए जाति संघर्ष का है. कोप्पल कोर्ट के न्यायाधीश चंद्रशेखर सी. ने यह फैसला सुनाया. जानकारी के मुताबिक यह देश का पहला ऐसा मामला है जिसमें जाति संघर्ष केस में 101 लोगों को दोषी ठहराया गया है.

बता दें, कोर्ट में 101 आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित हुए. जातिगत गाली-गलौज का मामला उन तीन लोगों पर लागू नहीं हुए क्योंकि ये तीनों अनुसूचित जाति और जनजाति से संबंधित थे, इसलिए 101 लोगों में से इन तीन दोषियों को पांच साल की जेल और 2 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई. हालांकि, दंगा करने के लिए उन्हें पांच साल के लिए जेल की सजा भुगतनी पड़ेगी.

यह है मामला
कोप्पल जिले के मरुकुम्बी गांव में 2014 में दलितों को नाई की दुकान और होटल में प्रवेश न देने के विरोध में जातिगत संघर्ष हुआ था. जिसमें एक भीड़ द्वारा दलितों पर हमला करने और पिछले दिन हुई झड़प के प्रतिशोध में उनकी झोपड़ियों को आग लगाने की बात कही गई थी. घटना का जानकारी मिलते ही पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का दौरा किया और मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी, लेकिन बाद में वहां एक और मामला दर्ज हो गया.

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