इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा आजमगढ़ कोतवाली से संबंध एक मामले के फैसले में आरोपी की मां इशरत जहां व भाई सलीम अहमद को राहत देते हुए स्पष्ट कहा कि आरोपी के परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ एफआईआर होने पर पूरे परिवार को परेशान करना सही नहीं है। बताते चलें कि एक नाबालिग लड़की के अपहरण मामले के आरोपी के परिवार को परेशान किए जाने के खिलाफ अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह की बात सुनकर यह आदेश न्यायमूर्ति एस अरिदम सिन्हा व न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की पीठ ने दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि अपहरण में किसी नाबालिग की संलिप्ता की जांच होनी चाहिए। बीएनएस की धारा 35/3 में कहा गया है कि पुलिस अधिकारी को उन सभी मामलों में नोटिस जारी करना चाहिए जहां गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है। नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 35 का अनुपालन करते हुए उचित विवेचना करने और याची को गिरफ्तार ना करने का निर्देश दिया जाना जनहित का फैसला कह सकते हैं क्योंकि अभी तक ज्यादातर मामलों में दिखाई देता है कि केस और आरोपी कोई भी हो पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाती तो उसके परिवार का शोषण करने का कोई मौका नहीं चूकती। जबकि कई बार देखने को मिला कि जब किसी प्रकरण में विवादित पुलिस के कर्मचारी व अधिकारी की गिरफ्तारी होनी होती है तो उसके हाथ ना आने की बात कहकर पुलिस शांत बैठ जाती है। उसके परिवार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती और आम आदमी का उत्पीड़न करने में पुलिस नहीं चूकती है। कई बार अदालत के द्वारा भी पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर निंदनीय टिप्पणी की जा चुकी है लेकिन वर्दीधारी काफी प्रतिशत अफसर और कर्मचारी किसी भी प्रकार के उत्पीड़न का मौका नहीं चूकते हैं। अदालत और न्यायाधीश अगर थोड़ा प्रयास कर इस बारे में जो आदेश जारी होते हैं उनको लागू ना करने वाले अफसरों को दंडित करने की व्यवस्था निर्धारित कर दें तो समाजहित में ऐसे फैसले महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। क्योंकि इस बारे में भी डरा सहमा पीड़ित पुलिस वालों के खिलाफ अदालत तो नहीं जा सकता और ना शिकायत करने की हिम्मत जुटाता है। इसलिए मेरा आग्रह और सुझाव है कि न्यायपालिका के महानुभव यह भी सुनिश्चित कराएं कि उनके आदेश में पुलिस ने क्या कार्रवाई की और अब निर्दोषों को परेशान तो नहीं किया जा रहा तो वर्तमान समय में कई प्रकार से कमजोर पीड़ितो को बड़ी राहत मिल सकती है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
जनहित में अदालतें अपने फैसलें पुलिस से लागू भी कराएं
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