भोपाल 25 जनवरी। मध्य प्रदेश में अब बोरवेल खुला छोड़ने के कारण कोई दुर्घटना हुई तो भूस्वामी और खनन एजेंसी के जिम्मेदार व्यक्ति को भारतीय न्याय संहिता के तहत दो से 10 वर्ष तक कैद और अर्थदंड दोनों हो सकता है।
बोरवेल या ट्यूबवेल खनन के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से ऑनलाइन अनुमति लेनी होगी। ऐसा न करने पर अर्थदंड व कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। यदि असफल बोरवेल बंद नहीं किए गए, तो संबंधित एजेंसी पर प्रथम अपराध के लिए 10 हजार रुपये और इसके बाद हर अपराध के लिए 25 हजार रुपये अर्थदंड लगाया जाएगा।
बोरवेल के पास लगाना होगा ऐसा साइन बोर्ड
बोरवेल के पास भूस्वामी व खनन एजेंसी को संपर्क नंबर, पूरा पता विवरण के साथ साइन बोर्ड लगाना होगा। ये नियम खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम और सुरक्षा अधिनियम-2024 के तहत बनाए गए हैं।
नए नियमों की अधिसूचना जारी कर दी गई है। अधिकारियों के अनुसार इतने कड़े नियम बनाने वाला मध्य प्रदेश संभवतः पहला राज्य है। इसके अनुसार बोरवेल खोदाई से कोई दुर्घटना न हो, इसके लिए सुरक्षा उपाय करने होंगे।
खनन स्थल के चारों ओर कांटेदार बाड़ या अन्य अवरोध लगाना होना। केसिंग पाइप के चारों ओर कांक्रीट प्लेटफार्म का निर्माण करना होगा। वेल्डिंग द्वारा या नट-बोल्ट से केसिंग पाइप पर स्टील प्लेट का मजबूत ढक्कन से बंद करना होगा।
नए कानून में बिना अनुमति बोरवेल खनन करवाने वाले के विरुद्ध कोई भी व्यक्ति पोर्टल पर शिकायत कर सकेगा। शिकायत सही पाए जाने पर शिकायतकर्ता को पुरस्कृत किया जाएगा।
खनन एजेंसी को पोर्टल पर देनी होंगी ये जानकारियां
खोदाई के दौरान किए गए सुरक्षा उपायों की जियो टैग तस्वीरें अपलोड करनी होंगी।
खोदाई पूरी होने के बाद गहराई, परिणाम, कार्यक्षमता और असफल ट्यूबवेल, बोरवेल उचित रूप से सीलबंद, ढंके हुए हो उसकी जियो टैग फोटो अपलोड करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने खुले या अधूरे बोरवेल में बच्चों के गिरने की जानलेवा दुर्घटनाओं को रोकने के लिए 11 फरवरी, 2010 एवं छह अगस्त, 2010 को निर्देशित किया था कि ऐसी दुर्घटनाओं को कानून बनाकर रोका जाना चाहिए। इसी तारतम्य में राज्य सरकार ने विधानसभा में विधेयक प्रस्तुत कर जुलाई, 2024 में ‘मध्य प्रदेश खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा अधिनियम, 2024’ लागू किया था।
अब इसके नियमों की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसका पालन न करने वालों के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 और साधारण खंड अधिनियम, 1957 की विभिन्न धाराओं में कार्रवाई की जाएगी।