asd 2024 में अपात्र होते रहे सम्मानित, 2025 में पात्रों को ही मिले सम्मान और प्रोत्साहन वही देशहित में होगा

2024 में अपात्र होते रहे सम्मानित, 2025 में पात्रों को ही मिले सम्मान और प्रोत्साहन वही देशहित में होगा

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वर्ष 2024 जाने वाला है। नया साल 2025 लगभग आ चुका है। हर साल खटटी मीठी यादों से भरा रहता है और हमेशा ही ऐसा होता रहा है। वर्ष 2024 भी इससे अलग कैसे हो सकता है। बात करें हम सम्मान की तो यह तो नहीं कह सकते कि पूरे साल में अच्छे लोगों को प्रोत्साहन और सम्मान ना मिला हो। लेकिन यह कहने में कोई हर्ज महसूस नहीं हो रहा है कि समाज के लिए कुछ करने सक्षम रहे लोगों को पूर्ण सम्मान शायद नहीं मिला। मगर तमाम क्षेत्रों में जोड़तोड़ और जुगाड़ से सम्मानित होने वालों की संख्या कुछ ज्यादा ही नजर आ रही है।
वैसे तो पिछले कुछ वर्षों से जो सरकारी सम्मान दिए जाते हैं उनमें कुछ को लेकर जो खबरें छपती है उससे लगता हेै कि पात्रों को नजरअंदाज कर अपात्रों को भी बहती गंगा में हाथ धोने के समान सम्मानित होने का मौका उपलब्ध हुआ।
लेकिन कुछ सामाजिक संगठनों और नागरिकों व मीडियाकर्मियों ने जो सम्मान देने और महिमा मंडित करने की झड़ी पूरे साल लगाए रखी उसमें नामचीन भूमाफिया कच्ची कॉलोनी काटने वाले अवैध निर्माणकर्ता और सरकारी जमीन बेचने वाले ज्यादा महिमामंडित हुए। पात्र कम बड़ी बातों को समाज के लिए करने वालों के लिए ऐसा क्यों किया गया कि जिन्हें जेल जाना था वो मंचों पर सम्मानित होते रहे। इस बारे में समाज को एक अच्छा संदेश देने और हर आदमी को देशहित में काम करने के लिए प्रेरित करने हेतु मेरा मानना है कि समाजहित में प्रयास करने वालों को पुरस्कृत किया जाए। यह वक्त की सबसे बड़ी मांग कही जा सकती है क्योंकि लंका पर पुल बनाते समय गिलहरी के प्रयासों की सराहना की गई थी उसी प्रकार उच्च पदों पर बैठे लोगों को अच्छे कार्य करने वालों को सम्मान देने में प्राथमिकता करनी चाहिए लेकिन जो दिखाई दिया उससे यही लगा कि अपात्रों को महिमामंडित करने का सिलसिला जारी रहा।
हम आशावादी व कर्मशील है। इसलिए मैं कोई प्रेरणास्त्रोत व्यक्ति तो हूं नहीं और ना ही किसी को संदेश देने की मेरी हैसियत है। लेकिन एक बात कहना चाहता हूं कि चाहे दो लोगों को सम्मानित किया जाए लेकिन वह वो लोग हो जिनका जनहित में कार्य हो। नियम विरूद्ध कार्य करने वालों की कार्यप्रणाली देश समाज के लिए हितकर नहीं हो सकती। इसलिए कुछ ऐसा प्रयास हो कि अच्छी छवि के निस्वार्थ भाव से काम करने वालों को प्राथमिकता पर रखा जाए तो यह सभी के लिए हितकर होगा।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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