नई दिल्ली 18 मार्च। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने नेशनल हाइवे एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव के मुताबिक, अगर अधिग्रहित जमीन का पांच साल तक इस्तेमाल नहीं होता है, तो उसे वापस मूल मालिकों को दे दिया जाएगा। इससे किसानों और जमीन मालिकों को बड़ी राहत मिलेगी, जिनकी जमीनें कई बार सालों तक बिना इस्तेमाल के पड़ी रहती हैं।
अधिकारी के मुताबिक, नेशनल हाईवे एक्ट के तहत अधिग्रहित जमीन को वापस करने का कोई मौजूदा प्रावधान नहीं है। अगर किसी परियोजना के लिए जमीन ली गई है लेकिन उसे इस्तेमाल नहीं किया गया, तो उसे डिनोटिफाई (अधिग्रहण रद्द) करने का विकल्प अभी उपलब्ध नहीं है।
सरकार अब इस कानून में संशोधन करने जा रही है, ताकि ऐसी जमीन को डिनोटिफाई कर मूल मालिक को लौटाया जा सके। इस संशोधन प्रस्ताव को पहले कैबिनेट और फिर संसद में पेश किया जाएगा, ताकि इसे कानूनी रूप दिया जा सके।
अधिकारी का कहना है कि यह संशोधन हाईवे निर्माण और सड़क किनारे सुविधाओं के विकास को तेज करने में मदद करेगा। इसके अलावा, यह नियम भविष्य में हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है। इससे भविष्य की योजनाओं को भी बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा।
सरकार के इस कदम से उन जमीन मालिकों को राहत मिलेगी, जिनकी जमीन अधिग्रहित तो कर ली जाती है लेकिन सालों तक उसका कोई उपयोग नहीं हो पाता। इससे हाईवे प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग और जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और प्रभावी हो सकेगी।
मुआवजे के तीन महीने बाद कोई आपत्ति नहीं कर पाएंगे
इसके साथ ही मुआवजे की घोषणा के तीन महीने बाद हाइवे अथॉरिटी या जमीन मालिक मुआवजे पर कोई आपत्ति नहीं कर पाएंगे। ये बदलाव नेशनल हाईवे निर्माण और सड़क किनारे सुविधाओं के लिए जमीन अधिग्रहण को तेज करने और मध्यस्थता को कम करने के लिए प्रस्तावित किए गए हैं। कैबिनेट की मंजूरी के लिए यह प्रस्ताव भेजा जा चुका है। यह कदम मुआवजे से जुड़े विवादों को कम करने में मदद करेगा।
सरकार ने परिवहन के अन्य साधनों, जैसे रेल और हवाई अड्डों के साथ हाइवे के इंटरचेंज को नेशनल हाईवे घोषित करने का प्रस्ताव भी रखा है। यह वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है। इससे कई परिवहन साधनों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित होगा और यात्रा सुगम बनेगी।
जमीन अधिग्रहण के लिए बनेगा पोर्टल
जमीन अधिग्रहण की सूचनाओं के लिए एक स्पेशल पोर्टल भी बनाया जाएगा। इस पोर्टल पर जमीन अधिग्रहण से जुड़ी सभी जानकारी उपलब्ध होगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और लोगों को जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के बारे में आसानी से जानकारी मिल सकेगी। इसके अलावा सड़क किनारे सुविधाओं, सार्वजनिक उपयोगिताओं, टोल और राजमार्ग संचालन के लिए कार्यालयों के लिए भी जमीन अधिग्रहित की जा सकेगी।
नोटिस जारी होने के बाद कोई लेन-देन नहीं होगा
एक जरूरी प्रावधान यह भी है कि सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद, प्रक्रिया पूरी होने तक जमीन पर कोई भी लेन-देन या अतिक्रमण नहीं किया जा सकेगा। कई बार ऐसा देखा गया है कि जमीन मालिक ज्यादा मुआवजा पाने के लिए पहली अधिसूचना के बाद ही घर बना लेते हैं या दुकानें खोल लेते हैं। यह प्रावधान ऐसी स्थिति से निपटने में मदद करेगा।
संशोधनों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि मुआवजा तय करते समय पहली अधिसूचना की तारीख को जमीन के बाजार मूल्य को ध्यान में रखना होगा। यह मुआवजे के मनमाने निर्धारण पर रोक लगाएगा। प्रस्तावित बदलावों में अधिकारियों द्वारा मुआवजा तय करने, मुआवजे की राशि पर आपत्ति दर्ज कराने और मध्यस्थों के लिए निर्धारकों के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है।