asd क्षेत्रीय दल कांग्रेस को नेता मानकर चले तो केंद्र में अपने सांसदों की संख्या बढ़ा सकते हैं

क्षेत्रीय दल कांग्रेस को नेता मानकर चले तो केंद्र में अपने सांसदों की संख्या बढ़ा सकते हैं

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पिछले कुछ दशक से केंद्र में सरकार की बागडोर संभालने लायक सीटें कांग्रेस ला नहीं पाई। और उसके नेताजी इस संदर्भ में समर्थन जुटाने में नहीं हो पाए सफल। लेकिन प्रदेशों में उससे पहले से ही कांग्रेस का धीरे धीरे सफाया और क्षेत्रीय दलो की मतदाताओ में पैठ बननी शुरू हो गई थी। पिछले कई चुनावों से उप्र में कांग्रेस सरकार में आना तो दूर विपक्ष में बैठने लायक तक स्थिति में नहीं आ पाई। कुछ लोग इसे आपसी गुटबंदी का परिणाम कहते हैं तो कई का कहना है कि पिछड़ो दलितों और मुसलमानों के इससे दूर होने के चलते कांग्रेस कोई करिश्मा नहीं कर पा रही है। जहां कहीं सरकार बनती है या बनने के पास होती है वहां सत्ताधारी दल जोड़तोड की राजनीति का लाभ उठाकर इनकी या समर्थन से बनी सरकार गिराकर सत्ता का कर्णधार बन बैठती है।
दल बदलुओं
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का कहना है कि दल बदल विरोधी कानून की होगी समीक्षा। मेरा मानना है कि अगर ऐसा हो जाता है और दल बदल कानून लागू होता है तो आयाराम गयाराम रूपी दल बदलुओ की कार्यप्रणाली पर अंकुश लगेगा और ऐसे में जो सरकार पूर्ण बहुमत से जीती या सहयोगी दलों के साथ सत्ता संभाली वो निर्धारित समय तक उस प्रदेश देश में शासन कर सकती है। देश में मजबूत विकल्प विपक्ष के लिए दल विरोधी कानून का मजबूती से लागू किया जाना भारतीय राजनीति की साख बचाए रखना अत्यंत जरूरी है।
पांच साल सरकार
लेकिन एक बात जरूर कह सकता हूं कि क्षेत्रीय दल जिस दिन देश में सबसे मजबूत राष्ट्रीय दल कांग्रेस को कमजोर करने की अपनी सोच को बदल लेंगे उनका सम्मान और पकड़ मतदाताओं पर भी मजबूत होने लगेगी और उन्हें अकेले दम पर या गठबंधन के दम पर पूरे पांच साल सरकार चलाने का मौका मिलेगा।
कांग्रेस को सीट देने में कंजूसी ना करें अखिलेश
इसके लिए जरूरी है कि कांग्रेस को यह सब मिलकर मजबूत बनाएं और ऐसी स्थिति उत्पन्न करे कि या तो वह केंद्र की सत्ता संभाले या मजबूत विपक्षी के रूप में खड़ा रहे और कोई भी निरंकुश फैसला ना होने दे। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव का मैं हमेशा प्रशंसक रहा हूं क्योंकि वो सुलझे विचारों सही निर्णय लेने वाले नेता के रूप में मुझे लगते हैं लेकिन इस लोकसभा चुनाव में लोकदल को सात सीटें देने और कांग्रेस को सिर्फ 11 सीटें देने की बात कर रहे हैं अखिलेश जी कांग्रेस कई बार देश की सत्ता संभाल चुकी है। मुलायम सिंह यादव और आपसे भी उसके अच्छे संबंध रहे हैं। उसके नेता बीस सीट यूपी में देने की बात सपा से कर रहे है। मुझे लगता है कि सपा को बिना किसी ना नुकर के अगर बसपा से कोई समझौता नहीं होता है तो बीस की जगह 25 सीटें कम से कम देनी चाहिए क्योंकि आज भी यूपी के हर गली मोहल्ले में उसके चाहने वाले मतदाताओं की उपस्थिति है। इसलिए बीते चुनाव में जो समझदारी का परिचय रालोद से गठबंधन कर अखिलेश यादव द्वारा दिया गया वो ही समझदारी यूपी में कांग्र्रेस को सीटें देने में दिखानी चाहिए क्योंकि रालोद और कांग्रेस के मतदाताओं के वोट से राजनीति में क्या हो जाए यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन यह कहा जा सकता है कि सपा के सांसदों की संख्या में होगी बढ़ोत्तरी। सिर्फ विपक्षी क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस को कमजोर करने की सोच को बदलना होगा।

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