Date: 23/12/2024, Time:

भगवान विश्वकर्मा एवं विश्वेश्वरैया जी के जीवन आदर्शो से प्रेरणा लेकर हमारे इंजीनियर काम करें तो देश में चारों तरफ होगी खुशहाली

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जब से पैदा हुए तब से ब्रहाम्ड के निर्माता और दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर भगवान विश्वकर्मा देवों के शिल्पी का जन्मदिन 17 सितंबर को हर साल मनाते हुए देखा गया है। वास्तुदेव तथा माता अंगिरसी की संतान विश्वकर्मा जी शिल्पकारों और रचनाकारों के इष्टदेव हैं और उन्होंने सृष्टि की रचना में ब्रहमा जी की मदद की गई और पूरी दुनिया का मानचित्र बनाया गया। अपने समय में सभी देवी देवताओं के लिए किसी ना किसी प्रकार का निर्माण करने में सक्षम रहे भगवान विश्वकर्मा पर जैसा पढ़ने सुनने को मिलता है सभी देवी देवताओं का विश्वास उनके कार्यों को लेकर होता था। क्योंकि स्वर्ग लोक से लेकर रावण के पुष्पक विमान आदि का भी निर्माण विश्वकर्मा जी ने ही किया।
प्रिय पाठकों विश्वकर्मा जयंती से दो दिन पूर्व हमारे द्वारा 15 सितंबर को मोक्ष गुडम विश्वेश्वरैया का जन्मदिन मनाया जाता है। 15 सितंबर 1860 को जन्मे और 1962 को भगवान को प्यारे हुए 102 वर्ष के विश्वेश्वरैया का जीवन भी इंजीनियरिंग क्षेत्र में उल्लेखनीय और प्रेरणादायक रहा है। इसे भी संयोग ही कह सकते हैं कि एक ही माह में विश्वेश्वरैया और विश्वकर्मा का जन्मदिन मनाया जाता है। विश्वेश्वरैया के बारे में तो सभी जानते हैं। लेकिन बताते हैं कि अंग्रेज प्रिंसिपल द्वारा उपहार में उन्हें वेबस्टर डिक्शनरी भेंट की गई। और उस शब्दकोष ने शिक्षा की प्रगति यात्रा कर रहे विश्वेश्वरैया जी को अंग्रेज प्रिसिंपल ने उच्च स्तरीय नौकरी की पेशकश की लेकिन अपने लक्ष्य की प्राप्ति में लगे टयूशन पढ़ाकर अपनी शिक्षा प्राप्त करने की उनकी लगन ने उन्हें एक अलग पहचान और नाम दिया। वो ऐसे इंजीनियर थे जो अपनी योग्यता से हवा और पानी का रूख मोड़ने में सक्षम रहे। उन्हें पता था कि पेयजल आपूर्ति कही बाढ़ रेाकथाम और सिंचाई के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जाता है। विश्वकर्मा की जयंती पर विश्वेश्वरैया की चर्चा करने का उददेश्य सिर्फ इतना है कि यह दोनों महान विभूतियां जिन्हें हमारी इंजीनियर मन और श्रद्धा से मानते हैं और उनके आगे सिर झुकाते है। इनकी जयंती के मौके पर मैं सिर्फ अपने इंजीनियर व तकनीशियनों से आग्रह करना चाहता हूं कि अगर वो अपने जिम्मेदारियों को समय से गुणवत्ता अनुसार पूर्ण करने का संकल्प ले लें तो हमारे देश से कई समस्याएं दूर हो जाएंगी। चारों तरफ खुशहाली की फसल लहलहाने लगेगी और किए गए कार्यो से पैसों की बचत से विकास को गति मिल सकती है। यह कह सकते हैं कि भगवान विश्वकर्मा जिस प्रकार देवों के जमाने में काम करते थे। उसी प्रकार उनके यह वंशज देश में रामराज्य लाने और समाजहित की सोचने वालों का सपना साकार होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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