Date: 08/09/2024, Time:

उद्योग धंधे बढ़ें तो सरकार को निजी क्षेत्र में आरक्षण की बात भूल ही जाना चाहिए

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कर्नाटक सरकार द्वारा निजी क्षेत्रों में आरक्षण विधेयक को वापस लेने पर कांग्रेस को घेरते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि उक्त निर्णय धन्नासेठों व उद्योगपतियों के दबाव में वापस लिया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा गरीब व आरक्षण विरोधी हैं। कांग्र्रेस सांसद शशि थरूर ने सिद्धारमैया सरकार के फैसले पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह कोई बुद्धिमानी भरा निर्णय नहीं था। अगर हर राज्य ऐसा कानून लाया जाएगा तो यह असंवैधानिक होगा। पूर्व मेें सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही कानून को खारिज कर दिया था। मुझे नहीं पता कर्नाटक सरकार ने ऐसा किस आधार पर किया। ऐसा कानून बनने पर राज्य के उ़द्योग तमिलनाडु या केरल में शिफट हो जाएंगे। सरकार अपने कार्यालयों और उद्योगों में आरक्षण दे रही है। उनकी क्या स्थिति है और इसे लेकर कितनी समस्याएं होती है यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। सरकार जब कोई उद्योग चलाती है तो वह ज्यादातर घाटे में चलते हैं। जब वहीं उद्योग निजी क्षेत्र में व्यापारी चलाता है तो वह कुछ दिनों में दूसरा खड़ा कर लेता है।
मैं आरक्षण विरोधी तो नहीं हूं। मगर हर जाति को आर्थिक आधार पर यह मिले। जिन्हें मिल रहा है वह कई कई बार इसका लाभ उठा चुके हैं। अब नयों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। जहां तक निजी क्षेत्रों में आरक्षण की बात है तो मेरा मानना है कि जो उद्योगों और रोजगार को बढ़ावा देने की सरकार नीति बना रही है वो प्रभावित होंगी और निजी क्षेत्र के उद्योग या तो घाटे में चले जाएंगे। इसलिए निजी क्षेत्रों में आरक्षण नहीं देना चाहिए। निजी क्षेत्र का व्यापारी कोल्हू के बैल की तरह पिसता है फिर भी दो वक्त की रोटी कमाना मुश्किल हो रहा है। सरकार की मदद भी इतनी नहीं मिल पाती जो बिना ब्याज के पैसे लिए अपना धंधा बढ़ा सके। सरकार ब्याज दर बढ़ा रही है और सूदखोर ताकत। अगर निजी क्षेत्रों मंे आरक्षण मिला तो उद्य़ोग धंधे कहानी किस्सों की बात हो जाएंगे इस संभवना से इनकार नहीं किया जा सकता।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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