प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ नागरिकों को मजबूत और टिकाऊ सड़कें व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए जिलों के अधिकारियों को अच्छा बजट दिया जा रहा है और स्मार्ट सिटी बनाने की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। लेकिन इसे हम अपने जनप्रतिनिधियों की लापरवाही कहें या अपनी उदासीनता क्योंकि प्रदेश सरकार और उसके मुखिया योगी आदित्यनाथ चुनावी वादों और घोषणाओं को पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। सिवा इसके कि भ्रष्टाचार लापरवाही और भाई भतीजावाद व चाटुकारों से घिरे अफसरों पर पकड़ नहीं बन पा रही है इसलिए आए दिन नाले नालियों सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता न होने भ्रष्टाचार होने की शिकायत तो मिल रही है विपक्ष को भी सरकार की कार्यप्रणाली पर ऊंगली उठाने का मौका मिल रहा है। यह समस्या किसी एक जगह की नहीं है प्रदेश के सभी जनपदों में किसी ना किसी मुददों को लेकर छपने वाली खबरें देखने सुनने को मिल रही है। फिलहाल हम बात सहारनपुर की करें जहां नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही और महापौर की कमजोर पकड़ का परिणाम कह सकते हैं कि यहां के वार्ड 34 विनोद विहार कॉलोनी की सीवरेज लाइन ठीक करते समय सड़क ही धंस गई जिसमें दो मजदूर पार्षद और एक महिला बीस फुट के गडढे में गिरने से घायल हो गए। यह तो अच्छा है कि नागरिकों के सहयोग से उन्हें बाहर निकाला गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया। पार्षद सुधीर पंवार अक्षय मजदूर और विकास व निर्मल शर्मा को कोई बड़ी हानि गडढे मेें दबने से नहीं हुई। महापौर एक खबर के अनुसार कह रहे हैं कि सड़क दस साल पुरानी थी अंदर पानी का रिसाव था जिससे मिटटी बैठ गई। सीएम का निर्देश है कि सड़कों की तय समय सीमा से पहले कोई खराबी आती है तो जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होगी तो यह कहने से आठ दस साल पुरानी सड़क थी इसलिए धंस गई सही नहीं है क्योंकि सीएम ने जब से अपना कार्यभार संभाला तब से वह गढडा मुक्त सड़कों की बात कर रहे हैं। घटना के बाद भाजपा के नगर विधायक राजीव गुंबर और महापौर के खिलाफ नागरिकों ने नारेबाजी की जो इस बात का प्रतीक है कि जनता नगर निगम और जनप्रतिनिधियों के काम से खुश नहीं हैं। दूसरी ओर सांसद इमरान मसूद ने भी इस घटना के बाद सरकार की स्मार्ट सिटी योजना पर तंज कसे हैं।
मेरा मानना है कि सरकार कुछ ऐसा आदेश करे कि जितने भी नाले नाली सड़क आदि के निर्माण सरकारी धन से हो उनकी निगरानी जनप्रतिनिधियों की कमेटी बनाकर सौंपी जाए और बिना उसकी संस्तुति के निगम के अधिकारी ना तो ठेकेदार का भुगतान कर पाएं और ना गुणवत्ता पूर्वक समय का निस्तारण कराने के लिए प्रतिबद्ध रहे। दूसरी तरफ पार्षद ही नहीं अगर आम आदमी भी अफसरों से शिकायत करता है तो कम से कम 12 घंटे में उसका समाधान अनिवार्य रूप से हो। क्योंकि 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा के चुनाव में जो स्थिति हुई वो विधानसभा चुनाव में ना हो इसके लिए जरूरी है कि कुछ निरंकुश और भ्रष्ट अफसरों को उनकी कमियों और कार्यप्रणाली के लिए सजा मिलनी ही चाहिए। वरना इन चीजों के निर्माण का बजट बढ़ता रहेगा। ठेकेदार भुगतान और इंजीनियर कमीशन लेते रहेंगे। सड़कें धंसती रहेंगी और आम आदमी परेशान होता रहेगा और खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
भ्रष्ट अफसरों पर अंकुश नहीं लगा तो बजट बढ़ता रहेगा कमीशन बंटता रहेगा सड़क धंसती रहेगी
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