तिरुवन्नामलाई 27 जून। सेना से सेवानिवृत्त एस. विजयन ने अपनी 4 करोड़ की संपत्ति को देवी को समर्पित कर मंदिर को दान कर दिया। मामला, तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले में अरुलमिगु रेणुगांबल अम्मन मंदिर का है, जहां जब मंदिर की दान पेटी खोली गई तो उसमें नोटों और सिक्कों के साथ दो मूल संपत्ति दस्तावेज भी मिले। इनमें एक संपत्ति की कीमत 3 करोड़ और दूसरी की 1 करोड़ रुपये बताई गई। साथ ही एक पत्र भी मिला, जिसमें विजयन ने लिखा था कि उन्होंने स्वेच्छा से यह संपत्ति देवी को अर्पित की है।
अरनी के पास केसवपुरम गांव के निवासी एस. विजयन मंदिर के कट्टर भक्त हैं और पिछले 10 वर्षों से अकेले जीवन बिता रहे थे। पत्नी से पहले ही मतभेद हो चुके थे और अब बेटियां उन्हें रोजमर्रा की जरूरतों को लेकर ताने दे रही थीं। विजयन का कहना है,मेरे अपने बच्चों ने मेरे खर्चों को लेकर मुझे ताने दिए। अब मैं वह सब देवी को सौंप रहा हूं, जिसने जीवनभर मुझे सहारा दिया। अब बेटियां संपत्ति वापस पाने के लिए भागदौड़ कर रही हैं, विजयन अपने फैसले पर अडिग हैं।
मंदिर के कार्यकारी अधिकारी एम. सिलंबरासन के अनुसार, केवल दान पेटी में दस्तावेज डाल देने मात्र से संपत्ति का कानूनी हस्तांतरण नहीं होता। जब तक रजिस्ट्री विभाग में विधिवत रजिस्ट्रेशन नहीं होता, मंदिर को संपत्ति का अधिकार नहीं मिलेगा। इसलिए ये दस्तावेज फिलहाल हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के पास सुरक्षित रखे गए हैं। दान की गई संपत्तियों में मंदिर के पास 10 सेंट जमीन और एक एकमंजिला आवास शामिल है, जिसकी कुल कीमत लगभग 4 करोड़ रुपये आंकी गई है।
मामला जब से मीडिया में आया है, तब से विजयन की बेटियां कथित रूप से संपत्ति वापस लेने के लिए प्रयासरत हैं। विजयन दो टूक कह चुके हैं, मैं अपने फैसले से पीछे नहीं हटूंगा। मैं मंदिर प्रशासन से संपर्क कर कानूनी प्रक्रिया पूरी करूंगा। यह घटना केवल एक पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि उस भावनात्मक और मानसिक स्थिति का प्रतीक है, जब बुजुर्ग अपने ही बच्चों से अपमानित होकर जीवन की अंतिम पूंजी किसी आस्था में समर्पित कर देते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह दान कानूनी रूप से मान्य ठहरता है या फिर बेटियां इसे वापस पाने में सफल होती हैं।