asd कैसे मिले नशे से मुक्ति एक ही मंत्रालय संभालता है आबकारी के हित और मद्य निषेध का काम, सरकार शराब सिगरेट तंबाकू पान मसाला के उत्पादन पर लगाए पूर्ण प्रतिबंध

कैसे मिले नशे से मुक्ति एक ही मंत्रालय संभालता है आबकारी के हित और मद्य निषेध का काम, सरकार शराब सिगरेट तंबाकू पान मसाला के उत्पादन पर लगाए पूर्ण प्रतिबंध

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मेरी निगाह में सभी बीमारियों से ज्यादा खतरनाक तंबाकू हैं क्योंकि इससे कहने वालों को सैंकड़ों में बताते हैं मगर सौ के आसपास के तरह के कैंसर इससे होते हैं। सबसे ज्यादा मुंह, गाल जीभ होठ फेफड़ें किडनी लिवर के कैंसर इससे माने जाते हैं। ह्रदय रोग सांस के रोग बेइंतहा बढ़ रहे हैं। इसलिए इसे सबसे खतरनाक इसके उपयोग को कह सकते हैं। 27 फरवरी 2005 को दुनियाभर में जनस्वास्थ्य को व्यापक लाभ पहुंचाने के लिए विश्व में फ्रेमवर्ग कन्वेंसन ऑफ ट्रोपो कंट्रोल नामक संधि हुई। जो अब इतिहास की पहल के रूप में स्वीकार्यर्ता हो गई है। इसी क्रम में जागरूकता के लिए खासकर 31 मई को हर साल जगह जगह गोष्ठियां आदि होती हैं। तंबाकू मानवता के लिए एक अभिशाप बन चुका है। यह दुनिया में कैंसर जैसी बीमारियों और उनके कारण मौतों का कारण बन रहा है। बताते हैं कि हर साल तंबाकू सेवन से लाखों लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार बीस फीसदी ह्रदय रोग के लिए तंबाकू ही जिम्मेदार है। संधि के अनुसार 138 देशों में सिगरेट के पैंकेटों पर चेतावनी दी जाती हैं और उपभोक्ताओं को इससे होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक किया जाता है। इसी के चलते तंबाकू विज्ञापनों के प्रमोशन विज्ञापनों पर 66 देशों में प्रतिबंध लगाया जा चुका है।
जो लोग तंबाकू का सेवन करते हैं वो तो इससे पीड़ित हैं ही मगर ऐसे लोग भी इसकी पीड़ा झेल रहे हैं जो ना सिगरेट पीते हैं ना नशा करते हैं। क्योंकि इनके आसपास इसका उपयोग होने की बात सामने आ रही हैं। एक तथ्य जो बहुत भयानक कह सकते हैं वो यह हॅै कि पूर्व में ऐसी खबरें पढ़ने को मिली कि जो लोग नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करते और घर से नहीं निकलते वो भी इससे पीड़ित हो रहे हैं। इसलिए मेरा मानना है कि केंद्र व प्रदेश सरकार के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन को सभी देशों से यह आग्रह करना चाहिए कि वो मानव हित में शराब सिगरेट सहित सभ्ीा नश्ीाले पदार्थों की बिक्री और उत्पादन पर रोक लगाए। इससे होने वाली बीमारियों के बारे में जितना कहा जाए वो कम है। लेकिन अगर आपकी इच्छाशक्ति मजबूत है और आप स्वस्थ जीवन चाहते हैं तो नशे की लत छोड़ सकते हैं। क्योंकि इससे परिवार की खुशहाली और स्वास्थ्य बना रहेगा। इस धीमे जहर को जितना हम अपने से दूर रखेंगे उतना ही हम खुशहाल रहेंगे। जरूरत इस बात की है कि पांचवी से बाद के स्कूलों में तंबाकू रोधी अभियान चलवाए जाएं क्योंकि 14 से ज्यादा उम्र के बच्चों को इसकी आदत लगने की संभावना रहती है। गोष्ठियों से बच्चों को जागरूक किया जा सकता है। बताते हैं कि सरकार ने बिना लाइसेंस के तंबाकू उत्पाद ना बेचे जाने की नियमावली तैयार की है। मेरठ में नंगली किठौर तंबाकू मुक्त गांव कहा जाता है जो एक बड़ी उपलब्धि कह सकते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि लोगों को समझाया जाए कि तंबाकू सेवन व्यक्तिगत समस्या नहीं रही एक वैश्विक समस्या इसे कह सकते हैं। कुछ प्रयास के बाद हम तंबाकू मुक्त विश्व की कल्पना को भले ही जल्दी साकार ना कर पाए लेकिन इसका संकल्प जरूर ले सकते हैं। वैसे तो इस अभियान को चलते हुए लगभग 20 साल हो गए हैं और यह समस्या बढ़ती ही जा रही है तो मुझे लगता है कि इसका समाधान तभी हो सकता है जब हम हर प्रकार के नशे के उत्पादन पर रोक लगाएं क्योंकि अब एक ही मंत्रालय आबकारी के हित और मद्य निषेध का काम संभाले तो इसका समाधान होना संभव नहीं है। मेरा मानना है कि सरकार इस पर प्रतिबंध लगाने से जो आर्थिक नुकसान होना है उसकी भरपाई के लिए कुछ और रास्ते खोज सकती है क्योंकि बीमारियों पर खर्च होन वाले पैसे की बचत होने लगे तो नागरिक टैक्स बढ़ाकर देने में संकोच नहीं करेंगे।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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