एक समय था जब देश में झूठ बोलना पाप और गलत जानकारी देना सजा दिलाता था। लेकिन वर्तमान में तो हम प्रतिदिन अपने बच्चों के बारे में जानकारी देने में भी झूठ बोलने और एक दूसरे को धोखा देने के रिकॉर्ड तोड़ते जा रहे लगते हैं। पहले जब किसी के बच्चे शादी लायक होते थे तो लोग शोरूम खुलवाते थे। और कई कई टेलीफोन लगवाया करते थे। क्योंकि जब ठिया होगा तो आमदनी का रास्ता भी बैठने वाला निकालेगा। लेकिन अब जो सिलसिला चल रहा है वो हमें कहां ले जाएगा इस बारे में सोचने की प्रबल आवश्यकता तेज होती जा रही है।
किसी के बेटा बेटी शादी लायक हैं और नौकरी पेशा हैं तो पूछने पर वो बताता है कि मेरा बेटा मैनेजर है। बेटी वाला कहता है कि मेरी बेटी मैनेजर है। दोनों एक कंपनी में कैसे मैनेजर हो सकते हैं यह सोचने का विषय नहीं है क्योंकि मैनेजर के पद तो कई होते हैं फिर भी आसानी से सबको मिलना संभव नहीं लगता है। दूसरे जब भी किसी से बात की जाती है कि बेटा बेटी कितना कमा रहे हैं तो कहा जा रहा है कि लाखों में तनख्वाह है। दोबारा पूछने पर दस लाख से लेकर एक करोड़ तक का पैकेज बताने में हम नहीं चूक रहे हैं। अब कोई यह पूछ ले कि कितना और कैसे मिलता है तौ पे स्लिप क्या है। तो ज्यादातर तो बंगले झांकने लगते है। कुछ सामने वाले की जानकारी देखकर बताते हैं कि पैकेज तो 25 लाख का है लेकिन कटकर मिलते 12 लाख के करीब ही है। आप किसी से पूछे कि बच्चे क्या कर रहे हैं तो बताया जाता है विदेश में है। अगर अच्छी जगह है तो बताया जाता है कि वहां है। क्या कर रहे हैं पूछने पर मैनेजर बताया जाता है। मगर जब बच्चे वापस आते हैं और कोई उनसे पूछता है या किसी दूसरे से जानकारी ली जाती है तो पता चलता है कि फला तो मजदूरी या होटल में वेटर या पेटोल पंप पर गाड़ी में तेल भरने का काम करता है। शायद इन्हीं कारणों से कईयों की शादी बाद जिंदगी में कड़वाहट पैदा होने के साथ स्थिति अलगाव तक पहुंच जाती है क्योंकि जो सपने लड़का पक्ष द्वारा दिखाए जाते हैं वो टूटने पर लड़कियां दुखी होती है तो विवाद शुरू होता है। मां बाप भी गलत जानकारी देते हैं। भले ही बाद में रिश्ता कितने दिन चले इसकी चिंता किसी को दिखाई नहीं देती। मुझे लगता है कि यह झूठ बोलने और गलत जानकारी देनी की प्रथा खत्म होनी चाहिए इससे तलाक और एक दूसरे पर आरोप लगाने की जो व्यवस्था है वो आसानी से समाप्त होने वाली नहीं है। इसलिए अच्छा है कि झूठ बोलकर धोखा देने की आदत छोड़कर सही स्थिति का बखान किया जाए तो परिवार में खुशहाली शांति का मार्ग स्थापित हो सकता है। वैसे भी अगर देखें तो मां बाप द्वारा जो यह गलत प्रपंच रचा जाता है इसकी कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि बच्चे चाहे नौकरीपेशा हो या छात्र अथवा व्यापारी सब एक दूसरे के बारे में अच्छी तरह जानते है। जिसे जानकारी नहीं होती वो इंटरनेट से उस काम के बारे में जानकारी आसानी से प्राप्त कर लेते हैं। इसलिए आओ परिवार की खुशहाली बच्चों के उज्जवल भविष्य खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए झूठ की नींव पर परिवाररूपी व्यववस्था की आधारशिला रखने की बजाय सच के दम पर आगे बढ़ें तो कई समस्याओं का समाधान हो सकता है और परिवार में कलह का समापन भी हो जाता है। इसके लिए मेरे हिसाब से शादी के समय अभिभावको को लड़के की आमदनी व घर में जाकर राज करेगी जैसी बातों के लिए तथ्य रखते हैं को ध्यान में रखते हुए रिश्ते के समय करना बंद करे।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
झूठ पर झूठ कब तक बच्चों की खुशहाली के नाम पर जानकारियों देते रहोगे
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