उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिनहट स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में गत शनिवार को चोरों द्वारा बताते हैं कि पुलिस चौकी के निकट 42 लॉकर काटकर करोड़ों की चोरी कर ली गई। अब इसे संयोग कहे या साजिश यह तो जांच के बाद ही पता चलेगी क्योंकि बदमाशों ने जो लॉकर काटे वो ग्राहकों के थे और गोल्ड लोन के लॉकर सभी बच गए। पुलिस द्वारा कम समय में 330 घंटे के भीतर मुठभेड़ में दो बदमाश मार गिराए गए जिसे अच्छी सफलता कह सकते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि जिन लोगों का लॉकर काटकर बदमाश धन और समान ले गए उनकी भरपाई कैसे होगी। क्योंकि एक तो यह पक्का नहीं है कि लॉकर में हुआ नुकसान इंडियन ओवरसीज बैंक भरेगा या रिजर्व बैंक क्योंकि जिनके लॉकर होते हैं वो उसमें क्या सामान रखते हैं इसका हिसाब बैंक के पास नहंीं होता। ऐेसे में जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई किस आधार पर होगी और नहीं होती है तो बैंक का लॉकर लेकर किराया भरने का आम आदमी को क्या लाभ।
मेरा मानना है कि क्योंकि ग्राहकों का इससे कोई लेना देना नहीं है। बैंक अपने लॉकर धारकों को मुआवजा दे। भविष्य में ऐसे मामलों में लॉकर की सुरक्षा के मजबूत इंतजाम किए जाएं तथा एक साथ रात में बदमाशों ने बैंक में घुसकर इतने बड़े घटनाक्रम को अंजाम कैसे दिया इसकी जांच हो क्योंकि इस मामले में किसी ना किसी अंदर के मामले की संलिप्ता से इनकार नहीं किया जा सकता। बैंक को भी नीति निर्धारित करनी चाहिए कि जो सामान लोग लॉकर में रखते हैं उसकी सूची प्राप्त करें तो काली कमाई का पर्दाफाश होगा और जो यह घटना हुई ऐसे घटना होने पर ग्राहकों को नुकसान से राहत मिलेगी जो वक्त की सबसे बड़ी मांग कही जा सकती है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
इतनी बड़ी संख्या में लॉकर काटने में कैसे सफल हुए बदमाश ? बैंक या सरकार ग्राहकों के नुकसान की करे भरपाई
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