शहरों के विकास एवं सौंदर्यीकरण तथा जरूरतमंदों को घर उपलब्ध कराने के लिए विकास प्राधिकरण और उनके ज्यादातरण अधिकारियों की क्या स्थिति है यह तो सभी जानते हैं और इनके बारे में खबरें भी खूब छपती है। बीते दिनों मेरठ महायोजना 2031 को लेकर शासन में हुई बैठक में मेडा सचिव द्वारा कहा गया कि अवैध कॉलोनियों में प्लॉट मकान न खरीदने के लिए लोगों को मेडा जागरूक कर रहा है। वेबसाइट पर अवैध कॉलोनियों को लेकर सूचनाएं अपडेट की गई हेै। मेडा की साइट पर 359 अवैध कॉलोनियां तथा उनके मालिकों के बारे में जानकारी के साथ ही एक साल में 123 अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त किया गया है। सचिव ने उक्त बैठक में अवैध कॉलोनियों पर सख्ती के लिए कठोर नियम बनाने की सिफारिश की और कहा कि अवैध कॉलोनियों में रजिस्ट्री ना हो और बिजली पानी कनेक्शन ना दिए जाएं। अवैध कॉलोनियां सुनियोजित विकास में रोड़ा बन रही हैं इन्हें तोड़ने में साधन खर्च हो रहे हैं।
अगर ध्यान से देखें तो मेडा सचिव आनंद कुमार की सभी बातें सही है। मगर सवाल यह उठता है कि क्या उन्होंने जिन 123 अवैध कॉलोनियों की चर्चा की है उनकी वर्तमान परिस्थितियों को देखा है। शायद नहीं क्योंकि अगर देखा होता तो इन 123 में से ज्यादातर कॉलोनियां पूरी तरह बस गई हैं और उनमें लोग रह रहे हैं ऐसा नहीं होता। जहां तक मानचित्र पास की बात है तो सचिव साहब अवैध निर्माण रोकने वाले आपके ज्यादातर अधिकारी हर अवैध निर्माण हो रहे हैं उनका नक्शा पास बताकर दूसरों को भी अवैध निर्माण करने की छूट दे रहे हैं। नक्शा पास बताते समय वो यह नहीं बताते कि नक्शा किन चीजों का कितनी जगह में पास हुआ था और अब क्या बन रहा है। उनके हाथ ऐसी कौन सी नक्शा नीति लग गई है जो सड़क से 12 फुट जगह भी ना छोड़कर बनाए गए निर्माणों को यह नीतिगत बता रहे है। अभी महायोजना 2021 भी पूर्ण नहीं हुई है और मेडा के लोग बिना मुआयना करे आगामी महायोजना 2031 का हवाला देकर गलत मानचित्र पास कर रहे हैं। जबकि अभी उसकी सूचना भी जारी नहीं हुई है। सचिव साहब बैठकों में अच्छी बातें करना जरूरी है लेकिन यह भी जरूरी है कि शहर में कौन सी निर्माण नीति के तहत काम हो रहा है उसे भी देखा जाए और फाइलों में जिन निर्माणों में सील लगी है वहां रिहायश और कॉमर्शियल कॉम्पलैक्स कैसे चल रही है। मुख्यमंत्री पोर्टल पर आई शिकायतों का फर्जी निस्तारण करने वाले अधिकारी कैसे बचे घूम रहे हैं। इन कॉलोनियों में बिजली पानी के कनेक्शन पर रोक लगे यह वक्त की सबसे बड़ी मांग है। मगर पहले मेडा के उन दिग्गजों की कार्यप्रणाली पर रोक लगाईये जो नक्शा पास और सही बताकर गलत निर्माणों को सत्यापित कर रहे है। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को समझाईये कि छोटे निर्माणों को तोड़कर अपनी पीठ थपथपाने की बजाय जिन निर्माणें पर सील लगी उनका मुआयना कीजिए। सचिव साहब शायद आपको जानकारी ना हो लेकिन शहर में नालों और नजूल की भूमि पर निर्माण हो रहे हैं और बनीं दुकानें दस से 50 लाख तक में बेचे जाने की सूचना है। आखिर पहले इन पर रोक लगाई जाए तो मुझे लगता है कि सुधार तो अपने आप होने लगेंगे। बस प्रवर्तन अधिकारी से यह सूची मंगा लें कि पिछले दो साल में कितने अवैध निर्माणों की शिकायतों का निस्तारण किया गया है और हाईवे पर होटल वन सफायर, गढ़ रोड पर हल्दीराम शोरूम और यही पर शिवशक्ति किया गाड़ियों के शोरूम की जांच करा ली जाए तो अधिकारी क्या गुल खिला रहे हैं आपकों पता चल जाएगा क्योंकि होटल फारर तक तो जाने का रास्ता भी नहीं था। सिंचाई विभाग ने निर्माणकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा रखी है और मेडा ने उसका नक्शा पास कर दिया। हल्दीराम शोरूम में एक से पांच दुकानें दर्शायी गई है लेकिन उनमें बड़े शोरूम चल रहे हैं । यह सब मानचित्र के विपरीत है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
होटल वन फारर, हल्दीराम शोरूम के नक्शे और निर्माण की कराई जाए जांच, सचिव मेडा आपकी चिंता तो सही है मगर पहले अपने विभाग के लोगों की कारगुजारियों पर अंकुश लगाईये
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