लखनऊ 25 फरवरी। उत्तर प्रदेश के डेढ़ लाख शिक्षामित्रों के लिए खुशखबरी है। विधानसभा में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि अब शिक्षामित्रों को अपनी मर्जी के मुताबिक ट्रांसफर मिल सकेगा। हालांकि, उन्होंने मानदेय के मामले में शिक्षामित्रों को निराशा का रास्ता दिखाया है।
उन्होंने कहा कि साल 2017 में जब भाजपा की सरकार आई तब शिक्षामित्र का मानदेय साढ़े तीन हजार रुपए था. इसको हमने अपने आठ साल के कार्यकाल में बढ़ाकर 10 हजार रुपए किया है. अभी फिलहाल इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं होने वाली है.
समाजवादी पार्टी के विधायक राकेश वर्मा ने कहा कि सपा सरकार में हमने शिक्षामित्र को सहायक अध्यापक बनाया था. उनको एक अच्छा वेतन मिलना शुरू हो गया था. मामला जब कोर्ट में गया तो भाजपा की सरकार ने उचित पैरवी नहीं की थी. जिसकी वजह से उन्हें वापस शिक्षामित्र बना दिया गया.
इस समय जब सरकार न्यूनतम वेतन को बढ़ाने की बात कह रही है. ऐसे समय में मात्र 10000 मानदेय पर किसी शिक्षामित्र का परिवार किस तरह से पल रहा होगा. सरकार को इस विषय में सोचना चाहिए.
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि सरकार शिक्षामित्रों की स्थिति को लेकर पूरी तरह से काम कर रही है. हम मानदेय नहीं बढ़ा रहे लेकिन शिक्षामित्र को उनकी पसंद का तबादला देंगे. ताकि उनको भागदौड़ ना करनी पड़े. उनका मानदेय बढ़ाने का हमारा कोई प्लान अभी तक नहीं है.
दरअसल, शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने के सवाल पर सपा विधायक राकेश वर्मा ने टिप्पणी की। साथ ही, उन्होंने शिक्षामित्रों की तुलना कुत्ते टहलाने वाले से की। इस पर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने सपा विधायक से माफी मांगने के लिए कहा।
विधानसभा में सपा विधायक समर पाल सिंह ने बात रखी कि यूपी सरकार को दिल्ली जैसे स्कूल स्थापित करने चाहिए। जैसे दिल्ली में जैसे अरविंद केजरीवाल ने शिक्षा की व्यवस्था की वैसी ही व्यवस्था यूपी में भी होनी चाहिए। इस पर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने जवाब दिया और कहा कि यूपी में 13,050 सरकारी बेसिक स्कूल अंग्रेजी माध्यम के हैं। अब नई शिक्षा नीति में अंग्रेजी केवल विषय के तौर पर पढ़ाएंगे।