Date: 21/11/2024, Time:

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में हिंदू पक्ष की बड़ी जीत, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की मुस्लिम पक्ष की याचिका

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लखनऊ 01 अगस्त। मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट से हिंदू पक्ष को बड़ी राहत मिली है. गुरुवार को सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल हिंदू पक्ष की याचिकाओं को पोषणीय माना है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आर्डर 7 रूल्स 11 की आपत्ति को खारिज कर दिया. जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया है. इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने 31 मई को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था.

हाईकोर्ट के फैसले से ही यह तय हो गया है कि मथुरा के मंदिर मस्जिद विवाद में हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं. हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष की आपत्ति खारिज होने के बाद हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर आगे सुनवाई होगी. अयोध्या विवाद की तर्ज पर श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद की हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.

हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल की गई 18 याचिकाओं में मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को श्री कृष्ण जन्म स्थान बताकर उसे हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई थी. विवादित परिसर में हिंदुओं को पूजा अर्चना की अनुमति दिए जाने की मांग की गई थी. विवादित परिसर का अयोध्या के राम मंदिर और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर सर्वेक्षण कराए जाने की मांग की गई है. मथुरा की जिला अदालत में दाखिल की गई याचिकाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए अपने पास मंगा लिया था.

दाखिल की गई 18 में से 15 याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई कर रहा है. जबकि हाईकोर्ट ने तीन याचिकाओं को अलग कर दिया गया था. शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत आपत्ति दाखिल की थी. मुस्लिम पक्ष ने इन याचिकाओं की पोषणीयता को चुनौती दी थी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कई दलीलें पेश की गई थी. मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की मांग की थी.

मुस्लिम पक्ष ने मुख्य रूप से प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की दलील पेश की थी. लेकिन अदालत में मुस्लिम पक्ष की दलीलें खारिज करते हुए हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल याचिकाओं को पोषणीय माना है.

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