asd राहुल गांधी के नेतृत्व में स्वास्थ्य बीमा योजना जीएसटी कर का विरोध है आम आदमी की आवाज

राहुल गांधी के नेतृत्व में स्वास्थ्य बीमा योजना जीएसटी कर का विरोध है आम आदमी की आवाज

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संसद के मकर द्वार पर प्रदर्शन को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी द्वारा भले ही अनुचित करार दिया गया हो लेकिन भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन इंडिया के विभिन्न घटक दलों द्वारा संसद परिसर में जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर लगने वाले 18 फीसदी जीएसटी के विरूद्ध जो प्रदर्शन किया गया वो आम आदमी के हित और जनमानस की निगाह में सही नजर नहीं आता है। कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का यह कहना सही है कि जीएसटी ना केवल अमानवीय है बल्कि आपदा में अवसर की लूट को एकदम गलत नहीं कह सकते। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी का यह कहना है कि स्वास्थ्य बीमा में 18 फीसदी जीएसटी सीधे सीधे जेब पर डाका है। इससे सरकार ने 24 हजार करोड़ की वसूली की। पक्ष और विपक्ष में इस बात को लेकर भले ही मतभेद हो लेकिन आम आदमी चाहे सत्ता समर्थक हो या विपक्ष का पक्षधर इस जीएसटी से हर कोई बुरी तरह पीड़ित है। मेरी निगाह में अगर सरकार इस पर राय शुमारी करा ले तो विपक्ष का बिंदु भारी रहेगा। यह बात विश्वास से कही जा सकती है। प्रधानमंत्री जनमानस को हर प्रकार की सुविधा और निशुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए अपने सहयोगियों के साथ भरपूर प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी कर का भार उचित नहीं कहा जा सकता। क्योंकि अपनी सेहत के प्रति जो आदमी जागरूक है अथवा उन्हें लगता है कि यह बीमा योजना उन्हें लाभ पहुंचा सकती है तो मध्यम दर्जे के परिवार भी कम कीमत का बीमा कराने की सोचते हैं लेकिन यह 18 प्रतिशत की जो जीएसटी और विपक्षी दलों की निगाह में इसके उपनाम दिए गए हैं उनके डर के चलते वो कराने की सोचना ठंडे बस्ते में डाल देता है। इस हिसाब से देखें तो हर आदमी को निशुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराने की जो योजनाएं चलाई जा रही है उनमें और जीएसटी में विरोधाभास है। मेरा मानना है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और सरकार इस जीएसटी गब्बर सिंह टैक्स को तुरंत वापस ले जिससे गरीब आदमी भी अपना स्वास्थ्य बीमा कराकर एक प्रकार से इलाज में कुछ राहत महसूस कर सके। मैं पक्ष या विपक्ष का समर्थक नहीं हूं लेकिन एक बात कहना चाहता हूं कि स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी कर का मुददा यह राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष ने उठाया है वो जनहित का है और सरकार को भी इस बिंदु पर सकारात्मक दृष्टिकोण स्वस्थ समाज की स्थापना के लिए अपनाना चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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