एक जमाना था जब पत्नियों द्वारा पतियों पर उत्पीड़न के आरोप लगाए जाते थे लेकिन जैसे जैसे समाज में जागरूकता और पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव पड़ना शुरू हुआ तो व्यवस्था बदल गई और अब पतियों का पत्नियों द्वारा उत्पीड़न करने की खबरें मिलने लगी है। कई पति अपना दर्द समाज के सामने रख कहीं सुनवाई ना होने के चलते जीवन त्याग चुके हैं। परिणामस्वरूप कई देशों में पति उत्पीड़न संघ भी बन चुके हैं तो पतियों को पत्नी के उत्पीड़न से बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। कोई मुकदमा लड़ रहा है तो धरना प्रदर्शन भी होते है। विचार गोष्ठी तो आए दिन होती है। बीते दिनों पुरूष आयोग बनाने की मांग भी सरकार से हुई। लेकिन अभी तक इस बारे में कोई कार्रवाई होती नजर नहीं आई है। फिलहाल बांदा के गिररा थाना क्षेत्र के निवासी 28 साल के हबीब की पत्नी डेढ़ माह से घर छोड़कर चली गई। इससे हबीब परेशान रहने लगा। पत्नी को वापस लाने के प्रयास भी हुए। बीते दिनों यह लिखकर कि मैं लौटकर आउंगा मर रहा हूं लेकिन ऊपर वाले से दुआ करूंगा कि मुझे फिर से नीचे भेजे। इन लोगों ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी है। मेरी पत्नी ने मुझे धोखा दिया। सरकार से मेरी प्रार्थना है कि लड़कों के बारे में भी सोचा जाए और अपने शब्दों को दर्द के रूप में बयान कर भूखे पेट आत्महत्या कर ली। वह अपने पिता के घर गया और खाना नहीं खाया।
मेरा मानना है कि उत्पीड़न पति पत्नी बच्चों किसी का नहीं होना चाहिए। शायद इसीलिए मां बाप के समर्थन में कुछ नियमों का लाभ पात्रों को मिल रहा है। बच्चे भी मां बाप के उत्पीड़न किए जाने पर थाने पहुंचने लगे हैं। मगर जितना दिखाई देता है उसके अनुसार अभी जहां पति पत्नी का विवाद हो पतियों की बात कम सुनी जाती है और उसी का परिणाम है हबीब की आत्महत्या। मुझे लगता है कि सरकार को जल्द पुरूष आयोग बनाने के साथ कुछ ऐसे नियम बनाएं जिससे परेशान पति अपना बचाव करते हुए नाइंसाफी के खिलाफ आवाज उठा सके। सारे लोग उसे सुने । संविधान में महिलाओं को काफी अधिकार दिए गए हैं। परिवार का हर आदमी उनका सम्मान करता है और समाज में पहले उनकी बात सुनी जाती है। लड़कों पर भी कोई ज्यादती ना हो इसके लिए हबीब की मांग सही है। लड़कों के बारे में सरकार को सोचना चाहिए।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
हबीब की मांग लड़कों के बारे में सोच सरकार, जल्द हो पुरूष आयोग का गठन
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