इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि चाहे आजादी के पहले का कार्यकाल हो या बाद का हर जाति समुदाय के लोगों ने समाज उत्थान और मानवहित के लिए बहुत काम किए हैं। शायद उसी का परिणाम है कि आज हम भले ही कठिनाईयां सामने हो मगर सुख समृद्धि का जीवन जी रहे हैं और सभी लोग भरपेट खाना खाकर ही सो रहे हैं। अपने महापुरूषों को सम्मान देना उनके कार्याें को सराहना और याद करना हमारी जिम्मेदारी भी है और लोगों को अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित करने हेतु यह वक्त की सबसे बड़ी मांग है कि हम अपने महापुरूषांे को याद करें।
कितने ही ऐसी महान शख्सियत रही हैं जो गुमनामी के अंधेरे में खो गई। और समाज व परिवार के लोग सही प्रकार से उनके बारे में नहीं जानते क्योंकि उनके कार्यों और देशहित की उपलब्धियों की कही चर्चा नहीं होती। मगर मेरा मानना है कि हर जाति और समुदाय के साथ साथ समाज का हर व्यक्ति अच्छे कार्य करने वाले बुजुर्गों का गुणगान होना चाहिए लेकिन आजकल जो एक प्रतिर्स्पद्धा अपने जाति और समाज के लोगों का महिमामंडन और बाकी को नजरअंदाज करने की शुरू हुई वो ना समाज हित में है ना देशहित में।
जिस प्रकार अब एक राष्ट्र एक चुनाव की चर्चाएं चल रही हैं जो समय से लागू होनी चाहिए क्योंकि वो सबके हित में है। उसी प्रकार से महापुरूषों के नाम पर जो कुछ लोग अलग अलग प्रचार अभियान करने में लगे हैं मुझे लगता है कि वर्तमान में देश और जनहित की सोचने वाले लोगों को देश में ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिसमें महापुरूष और उनके प्रेरणास्त्रोत प्रसंग हर कोई उनका गुणगान करे और खुशहाली के साथ अपने परिवार का जीवन यापन और सभी को मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि जिन लोगों ने अपने समय में अच्छे कार्य करे उन्होंने यह सोचकर वो काम नहीं किया होगा कि उनकी जाति के लोगों का भला होगा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, अहिल्याबाई होलकर, झांसी की रानी आदि ने सर्वसमाज की हित और सुरक्षा के लिए काम किया लेकिन वर्तमान में कुछ लोग जातियों के मकड़जाल में उलझाने की कोशिश कर रहे हैं किसी का भी उससे भला नहीं होने वाला। कहने का आश्य सिर्फ इतना है कि जाति वर्ण उंच नीच से अलग हटकर हम सबको एक सुर में महान लोगों के कार्यों का महिमामंडन युवाओं को सही मार्ग पर चलने और देशहित की सोचने के लिए तैयार करने हेतु करना होगा तभी इन महापुरूषों के बलिदान और किए गए कार्यों का सम्मान होगा। स्वामी दयानंद गुरू जम्भेश्वर जी महाराज ऐसी शख्यित हुई जिन्होंने देश का मान बढ़ाने और नागरिकों के हित में काम करने और सही रास्ता दिखाने के साथ ऐसे प्रयास किए कि आज हम उनकी विरासत को आत्मसात कर काम करे तो अपना देश में रामराज्य की परिकल्पना साकार हो सकती है। जो यह जातिवाद का जहर फैल रहा है यह भी अपने आप समाप्त हो सकता है और एक होकर काम करने से सभी की समस्याओं का समाधान होगा। जब भावनाएं एकता की उत्पन्न होती है तो महाराजा अग्रसेन की भांति एक दूसरे के उत्थान की हम सब सोचने लगेंगे। यह कार्य ही महापुरूषों को हमारी श्रद्धांजलि और देश के हर नागरिक के हित में काम करने की प्रेरणा होगी।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
महापुरूषों ने तो चाहे वह किसी जाति के हो सर्वसमाज के उत्थान के लिए काम किया! हम भी अगर उन्हें वर्गों में ना बांटकर सामूहिक रूप से उनके दिखाए मार्ग पर चले तो तमाम कठिनाईयों का हो सकता है समाधान
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