asd फिल्मों सीरियलों में कम उम्र में सेक्स को बढ़ावा देकर भारतीय परंपरा और संस्कृति को बर्बाद किए जाने से फिल्मकारों को रोके सरकार

फिल्मों सीरियलों में कम उम्र में सेक्स को बढ़ावा देकर भारतीय परंपरा और संस्कृति को बर्बाद किए जाने से फिल्मकारों को रोके सरकार

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देश में अभी भारतीय परंपराओं को निभाने वाले परिवारों के साथ पश्चिमी सभ्यता को मानने वाले परिवार भी बच्चों और खासकर शादी से पूर्व सेक्स से संबंधित मामलों को उचित नहीं मानते हैं। इतना ही नहीं कई मंचों से यह आवाज उठने के बाद भी की छेड़छाड़ दुष्कर्म से बचने के लिए बच्चों को सेक्स शिक्षा और मानसिक रूप से किए जाने वाले डिजीटल यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए जानकारियां दी जाए। सरकार भी जितना हो सकता है कार्रवाई कर रही है। सामाजिक और धार्मिक संगठन भी इस मामले में सक्रिय है। उसके बावजूद विभिन्न प्रकार से यौन उत्पीड़न और सेक्स की घटनाएं क्यों बढ़ती जा रही हैं इस पर समाज और भारतीय संस्कृति व परंपराओं को ध्यान में रखते हुए मनन किया जाना बहुत जरूरी है। क्योंकि उम्र से पहले सेक्स से जो दुष्परिणाम निकलकर आते हैं उससे परिवारों में कलह और उनके बिखरने की संभावनाएं तो होती ही हैं सामाजिक ढांचा भी प्रभावित होता है क्योंकि सरकार द्वारा शादी की उम्र इसलिए तय की गई है क्योंकि उससे पहले शादी की जाती है तो उसके खासकर बच्चियों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके बावजूद ऐसी घटनाएं क्यों बढ़ रही है यह विषय समाज के हर व्यक्ति के सोचने का है।
जहां तक मुझे लगता है आजकल जो फिल्में शॉर्ट फिल्में या वेब सीरीज बन रही है और उनमें स्कूलों में कहीं किसी के सहयोग से कहीं चोरी छिपे सेक्स को बढ़ावा दिया जा रहा है वो तो गलत है ही। पिछले दिनों जाहवी कपूर की एक फिल्म में दिखाया गया कि फिल्म की हीरोईन सेक्स को लेकर तमाम तरह के उपयोग कर रही है और खुशी खुशी सबको बता रही है कि मेरे साथ सेक्स हो गया। तो अक्षय कुमार की एक फिल्म आई खेल खेल में उसमें जो उनकी बेटी दिखाई गई है उसकी 18 साल की उम्र हुई और उसके बैग से कंडोम का पैकेट निकलता है। तो दूसरी ओर स्कूलों से संबंध जो सीरियल आ रहे हैं उनमें भारतीय परंपरा का नाश करने की कोशिश की जा रही है। लड़के लड़कियां नश कर रहे है। छात्राएं लड़कों की गोद में बैठती है और कहती है कि थोड़ी देर सेक्स कर आएं। मैं किसी के जीवन में झांकने का पक्षधर नहीं हूं जिसे जो करना है वो करे लेकिन सार्वजनिक रूप से हमारी भावी पीढ़ी को इस तरह के सीन दिखाकर उन्हें सेक्स के लिए उकसाने और कहीं ना कहीं दुष्कर्म और छेड़छाड़ की घटनाआंे को बढ़ावा देने वाले के दृश्य को सेंसर बोर्ड कैसे अनुमति देता है यह तो वो ही जाने लेकिन मेरा मानना है कि भारतीय परंपराओं और परिवारों में एक दूसरे की शर्म कायम रहे इसके लिए इस प्रकार के दृश्य दिखाने वाले फिल्मों और सीरियलों को अनुमति न दी जाए और कम उम्र में सेक्स को बढ़ावा देने वाली फिल्मों पर रोक लगाई जाए और फिल्मकारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स)

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