समाज कल्याण अधिकारी के रूप में 15 साल पूर्व करोड़ों का घोटाला खोलने और फिर उसमें शामिल लोगों द्वारा किए गए हमले में सात गोलियां खाने वाले नवनियुक्त आईएएस रिंकू राही एक बार फिर मुजफ्फरनगर में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात हो गए हैं और वो अप्रैल माह में अपने नए पद का कार्यभार ग्रहण करेंगे।
वो पहले भी सरकारी अधिकारी थे। 100 करोड़ का 2009 में घोटाला पकड़ने पर माफियाओं द्वारा धमकी देने के बाद उन पर हमला किया गया। और कोई उसे रोक नहीं पाया। कहते हैं कि व्यक्ति की सोच और कार्यप्रणाली बचपन से ही बनने लगती है और जैसे जैसे वो आगे बढ़ता है तो वो मजबूत होने लगती है। इससे यह कह सकते हैं कि रिंकू राही भले ही अब समाज कल्याण अधिकारी से ज्वाइंट मजिस्ट्रेट बनकर आए हो मगर अब वह प्रतिष्ठित आईएएस के संवर्ग में शामिल हो गए है ऐसे में उनकी ईमानदारी अनेक घोटाला खोलने और करप्टों पर लगाम लगाने की कोशिश कर सकती है लेकिन इस बार उन पर कोई हमला करने या चोट पहुंचाने की कोशिश ना कर पाए इसके लिए सरकार को उन्हें उच्च स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध करानी चाहिए क्योंकि ऐसे ईमानदार अधिकारियों का मनोबल बढ़ाना शासन प्रशासन और समाज के लिए बहुत जरूरी है। वैसे भी जब सरकार तमाम असरदार लोगों को रिपोर्ट लिखवाने और धमकी मिलने की बात कहने वालों को सुरक्षा उपलब्ध कराती है तो रिंकू राही प्रमुख नागरिकों में शुमार है ऐसे में इनकी सुरक्षा प्राथमिकता से हो ऐसी सोच रखने वाले नागरिकों से मैं भी सहमत हूं।
मुजफ्फरनगर में 2009 में घोटाला पकड़ने और सात गोलियां खाने वाले ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रिंकू राही को सरकार उपलब्ध कराए सुरक्षा
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