asd राष्ट्रहित में सरकार दे ध्यान! जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है, युवाओं की घटती, दादा दादी नाना नानी की बढ़ती संख्या पर भी देना होगा ध्यान

राष्ट्रहित में सरकार दे ध्यान! जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है, युवाओं की घटती, दादा दादी नाना नानी की बढ़ती संख्या पर भी देना होगा ध्यान

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आबादी में बढ़ोतरी किसी भी रूप में सही नहीं कही जा सकती और कोई भी भविष्य की सोचने वाला व्यक्ति इसका हिमायती नहीं हो सकता। शायद इसीलिए दुनियाभर में जनसंख्या को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। अपने देश में ही जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने और उसे सख्ती से लागू करने की मांग पिछले कई सालों से की जा रही है। इसमें आम नागरिक के साथ साथ कई केंद्रीय मंत्री भी इस बात की हिमायत करते हैं। पूर्व में प्रधानमंत्री जी ने भी इस बारे में अपनी राय व्यक्त की थी और अगर देखें तो पड़ोसी देश में जहां पहले एक बच्चे का प्रावधान था अब दो की अनुमति देनेे की चर्चा सुनने को मिलती है। लेकिन कुछ देशों में जनसंख्या नियंत्रण कुछ मामलों में परेशानी का कारण बन सकत है क्योंकि मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर डेमोग्राफिक रिसर्च, ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय आदि द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार अब पोता पोती भांजा भांजी और धेवती धेवतों की जनसंख्या घटेगी और दादा दादी नाना नानी की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी। फिलहाल तो यह एक सामान्य सी बात नजर आती है लेकिन जैसा शोधकर्ताओं का मत है कि भारत में भी इसका असर पड़ेगा। अपने देश में नौजवानों की संख्या घटती है तो कई मामलों में युवाओं की घटती संख्या कष्टदायक हो सकती है इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र को ऐसी नीति निर्धारित की जानी चाहिए जिससे युवाओ की संख्या में कमी ना आए और वृद्धों की संख्या भले ही बढ़े। इस बारे में एक खबर के अनुसार आने वाले वर्षों में दुनियाभर में परिवार छोटे हो जाएंगे। निकट भविष्य में एक व्यक्ति के रिश्तेदारों की संख्या में 35 से अधिक की कमी होने की उम्मीद है।
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर डेमोग्राफिक रिसर्च, ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय तथा एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दुनियाभर में मनुष्यों के रिश्तेदारी संबंधी विकास का अध्ययन कर यह अनुमान लगाया है। भविष्य में परिवारों की संरचना भी बदल जाएगी। चचेरे भाई-बहनों, भतीजियों, भतीजों और पोते-पोतियों की संख्या में तेजी से गिरावट आएगी, जबकि परदादा और दादा-दादी की संख्या बढ़ेगी।
शोध के अनुसार, वैश्विक स्तर पर वर्ष 1950 में एक 65 वर्षीय महिला के औसतन 41 जीवित रिश्तेदार थे, जो 2095 तक औसतन केवल 25 रह जाएंगे। शोध नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।
दक्षिण अमेरिका में बड़ी गिरावट: मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर डेमोग्राफिक रिसर्च के डिएगो अल्बुरेज गुतिरेज रोस्टॉक के मुताबिक, दुनियाभर में परिवारों का आकार घटेगा। हालांकि दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन में सबसे बड़ी गिरावट हो सकती है।
सामाजिक सहायता प्रणाली विकसित करने की जरूरत: अध्ययन में सुझाव दिया है कि देशों को सामाजिक सहायता प्रणाली विकसित करना चाहिए। जो सभी चरणों में लोगों की भलाई सुनिश्चित करे। दुनिया की आबादी के बड़े हिस्से के पास वर्तमान में विकसित सामाजिक सहायता प्रणालियों तक पहुंच नहीं है। उनके लिए, पारिवारिक संबंध और अनौपचारिक देखभाल का एक महत्वपूर्ण स्रोत बने हुए हैं।
उम्र का अंतर प्रमुख वजह
व्यक्तियों व उनके रिश्तेदारों में उम्र का अंतर बढ़ने के साथ लोगों का पारिवारिक नेटवर्क छोटे होगा। भविष्य में दादा-दादी की संख्या अधिक होगी
यह सैद्धांतिक रूप से माता-पिता के लिए बच्चों की देखभाल के बोझ को कम करने में मदद कर सकता है
भारत पर भी असर
शोधकर्ताओं के अनुसार, भारत में 1950 में 65 साल की महिला के 45 रिश्तेदार थे, 2095 में यह संख्या 20 से कम रह जाएगी। जिम्बॉब्वे में 1950 में 82 रिश्तेदार घटकर 2095 में 24 रह जाएंगे। चीन में भी रिश्तेदारों की संख्या 39 से घटकर 7 फीसदी रह जाएगी। अमेरिका, इटली सहित अन्य देशों में भी कमी आएगी।
संयुक्त राष्ट्र की विश्व जनसंख्या के संभावित डाटा को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द भारत सरकार को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि यह भविष्य में सबसे बड़ी चिंता बन सकती है।

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