asd गूगल मैप से सरकार मृतकों के परिवार को दिलाए एक एक करोड़ मुआवजा

गूगल मैप से सरकार मृतकों के परिवार को दिलाए एक एक करोड़ मुआवजा

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यूपी के बरेली में बदायूं के समरेर को फरीदपुर से जोड़ने वाले रामगंगा पर बने अधूरे पुल पर गूगल मैप के अनुसार चलते हुए मैनपुरी के बिछवां निवासी अमित सिंह, फर्रखाबाद के अजीत और उनके चचेरे भाई नितिन की अधूरे पुल से नीचे गिर जाने से मौत हो गई। इस घटना में मरने वालों की संख्या को लेकर तीन तो सामने आ गए बाकी कोई चार कोई पांच बता रहा है। मेरा मानना है कि तीन से ज्यादा संख्या ना बड़े तो ही अच्छा है। यह भी सही है कि आधुनिक व्यवस्थाओं का उपयोग किसी रूप में नहीं रोका जा सकता। गूगल को अपनाना वक्त की मजबूरी भी कह सकते हैं लेकिन वो किसी की जान से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकती। जैसा सुनने को मिलता है पूर्व में भी गूगल से जानकारी गलत रास्ते पर राहगीरों को डाल देती और यह जो ताजी घटना है इससे तो यह स्पष्ट होता है कि कभी कभी आधी अधूरी जानकारी गूगल द्वारा दी जाती है। इसके पीछे कौन गलत है कौन सही यह तो जांच का विषय है लेकिन अगर आसपास के ग्रामीणों द्वारा मदद ना दी गई होती तो और पुलिस द्वारा परिजनों को खबर ना दी जाती तो परिजनों के साथ भी कई समस्याएं हो जाती है। मेरा मानना है कि इस अधूरी जानकारी देने हेतु गूगल मैप के संचालकों से जवाब तलब करने के साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृति ना हो और गूगल मैप के कारण राहगीरों को समय की बर्बादी रोकी जा सकते उसके लिए यह जरूरी है कि इनसे कहा जाए कि अपनी सेवाओं में लापरवाही किसी भी रूप में ना करें क्योंकि इनकी उदासीनता इस घटना का कारण बनी इसमें कई लोग काल के गाल में समा गए तथा इस मार्ग से संबंध विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्रवाई हो क्योंकि उन्हें यहां पर एक बड़ा बोर्ड संकेत सूचक लगाना चाहिए था जिसे लोग देख सके। जितना पता चलता है उससे जो उभरकर आ रहा है उससे यही लगता है कि इस सड़क का रखरखाव करने वाले विभाग ने अपने कार्यों को सही निस्तारण नहीं किया। वैसे तो मृतकों के परिजन अदालत का दरवाजा खटखटाकर दोषियों और गूगल मैप व सड़क का रखरखाव करने वालों से जुर्माना वसूल सकते हैं लेकिन जो लोग चले गए उनकी भरपाई नहीं हो सकती। मेरा मानना है कि सरकार गूगल मैप संचालकों से मृतकों के परिवारों को एक एक करोड़ का मुजावजा और एक एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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