आज हम राष्ट्रीय दूध दिवस मना रहे है जब कोई ऐसा दिवस होता है तो घर परिवार हो या शहर जिला सब में संबंधित लोग खुशियां मनाते है और अन्य उसमें शामिल होते है लेकिन जीवन में मानव जन्म के बाद से सबसे पहले दूध का ही महत्व होता है। क्योंकि मां के दूध के उपरांत पोष्टिक आहार के रूप में यही दिया जाता है। एक जमाना था कि अपने देश में दूध की नदियां बहती थी ऐसा हमारे बुजुर्ग कहते है। लेकिन वर्तमान में तो मां के दूध के अतिरिक्त सभी चिकित्सक दूध की कम से कम उपयोग करने की बात विभिन्न कारणों से बताते है और यह सही भी है क्योंकि दूध में मिलावट के बड़े प्रतिशत में सैंपल फैल और कुछ में तो शरीर के लिए हानिकारक होने की बात भी सामने आती है।
दूध की कमी आखिर क्यों इसके लिए हमे लगता है कि एक तो चारा उगाने और जानवरों के पालने के लिए जमीन का आभाव दूसरे पशुओं को खिलाने वाले पोष्टिक चारे की बढ़ती महंगाई और तीसरे हर मौसम में दूध की बढ़ती मांग और खपत मिलावट और महंगाई का कारण होने की बात से इनकार नहीं कर सकते।
गर्मियों और विवाह शादी आदि बड़े स्तर पर होने वाले समारोह के दौरान सामान्य दिनों की भांति दूध की खपत दोगुनी के आस पास हो जाती है। सवाल यह है कि उत्पादन उतना ही और खपत दोगुनी हो गई तो बाकी दूध कहां से आ रहा है। इस बारे में जानकारों का यह कहना पूरी तौर सही नजर आता है कि बाकी दूध की उपलब्धता मिलावट से पूरी होती है चाहे वो पानी मिलाकर की जाए या हानिकारक पदार्थ जो भी हो असल दूध तो इतनी बड़ी तादाद में कई कई महीने तक खपत के मुकाबले मिलना मुश्किल है।
एक खबर के अनुसार इस साल दूध के जो सैंपल भरे गये उनमें से ज्यादातर मिलावटी निकले। इन मामलों में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होती है। इसलिए घर पर जांच कर मिलावट से बच सकते हैं। जैसे- दूध में पानी की जांच करने के लिए दूध की एक बूंद को चिकने या चमकदार तिरछी सतह पर डालने से शुद्ध दूध की बूंद धीरे धीरे आगे बढ़कर पीछे एक सफेद निशान छोड़कर बहती है, जबकि पानी मिला दूध तेजी से बिना निशान छोड़े बहेगा।
दूध में स्टार्च की जांच करने के लिए टिंक्चर आयोडीन की कुछ बूंदें मिलाने पर स्टार्च युक्त दूध में नीला रंग आ जाता है। टिंक्चर आयोडीन दवा दुकान से आसानी से मिल जाती है। दूध में यूरिया की जांच के लिए एक परखनली में थोड़ा दूध लेकर उसमें आधा चम्मच
सोयाबीन या अरहर पाउडर मिलाकर हिलाएं, फिर इसे पांच मिनट के लिए रख दें, इसके बाद इसमें एक लाल लिटमस पेपर डुबाने पर पेपर का रंग लाल से नीला हो जाए तो दूध में यूरिया की मिलावट मानी जाती है। लाल लिटमस पेपर स्टेशनरी की दुकान से मिल जाता है।
दूध में वनस्पति की जांच करने के लिए तीन से पांच मिली दूध एक परखनली में लेकर उसमें दस बूंद हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं एक चम्मच चीनी मिलाने पर पांच मिनट बाद लाल रंग दिखाई देने लगे तो दूध में वनस्पति की मिलावट होती है।
लगातार की जा रही कार्रवाई खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की सहायक आयुक्त दीपक सिंह ने बताया कि दूध के जो सैंपल फेल होते हैं, वह मामले एडीएम सिटी की कोर्ट में चलते हैं। समय- समय पर दूध के सैंपल लिए जाते हैं। आगे भी यह कार्रवाई जारी रहेगी। मिलावटी दूध सेहत के किए खरतनाक वरिष्ठ फिजिशियन डा. वीके बिंद्रा बताते है कि मिलावट सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह है। खाद्य पदार्थ हो या फिर दूध, अगर उनमें मिलावट है तो इससे किडनी, लिवर और दिल संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।
हमारा सुझाव है कि सरकार दूग्ध पालकों के लिए अलग से हर शहर गांव देहात में जमीन की व्यवस्था करे जहां वो जानवरों को पालने के साथ साथ चारे का उत्पादन कर सकें। जिससे शुद्ध दूध पीने को मिले। दूसरा गर्मियों में दूध से बनी मिठाईयों के उपयोग पर प्रतिबंध हो। तीसरा विवाह शादियों व अन्य समारोह में दूध से बनी दस मिठाईयां परोसने की बजाए शुद्ध दूध से बनी एक मिठाई परोसी जाए वो स्वास्थय वर्धक भी होगी स्वादिष्ट भी। चौथा अगर फिर भी कोई दूध में हानिकार यूरिया आदि मिलाता है तो अपने देश में मृत्यु दंड देने का प्रावधान है नहीं आज वैसे भी संविधान दिवस है इसलिए यही कहा जा सकता है कि सरकार दूध में हानिकारक मिलावट करने और लोगों के जीवन से खेलने वालों के खिलाफ जो कार्रवाई की जा सकती है वो करें। क्योंकि मुनाफाखोरों की इच्छाई तो समाप्त होने वाली है नहीं। और अगर फिर भी न माने तो जो अन्य मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान है इस मामले में भी।
प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य
अधिक दूध उत्पादन पर सरकार दे ध्यान! मिलावटखोरों को दी जाए सख्त से सख्त सजा और पशु पालक को सुविधा
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