नई दिल्ली 05 जुलाई। सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों के उन हिस्सों पर टोल शुल्क में 50 फीसदी तक की कमी की है, जहां पुल, सुरंग, फ्लाईओवर या ऊंचे रास्ते जैसी संरचनाएं हैं। इस कदम से गाड़ी चालकों के लिए यात्रा का खर्च कम हो जाएगा।
टोल शुल्क के नए नियम
राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल प्लाजा पर शुल्क 2008 के एनएच शुल्क नियमों के आधार पर लिया जाता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इन नियमों में बदलाव किया है और टोल शुल्क की गणना के लिए एक नया तरीका या फॉर्मूला लागू किया है।
मौजूदा नियमों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्रत्येक किलोमीटर संरचना के लिए उपयोगकर्ता नियमित टोल का 10 गुना भुगतान करते हैं। इसमें संरचना का मतलब पुल, सुरंग, फ्लाईओवर या एलिवेटेड राजमार्ग से है।
ए टोल दरों को समझाने के लिए मंत्रालय ने उदाहरण दिए
नए टोल दरों को समझाने के लिए मंत्रालय ने उदाहरण दिए हैं। मंत्रालय ने कहा कि यदि राष्ट्रीय राजमार्ग के एक खंड की कुल लंबाई 40 किलोमीटर है, जिसमें केवल संरचना शामिल है, तो न्यूनतम लंबाई की गणना इस प्रकार की जाएगी- 10 3 40 (संरचना की लंबाई का दस गुना) = 400 किलोमीटर या राष्ट्रीय राजमार्ग के खंड की कुल लंबाई का पांच गुना = 5 3 40 = 200 किलोमीटर।
उपयोगकर्ता शुल्क की गणना कम लंबाई यानी 200 किलोमीटर के लिए की जाएगी न कि 400 किलोमीटर के लिए। इस मामले में उपयोगकर्ता शुल्क सड़क की लंबाई के केवल आधे हिस्से (50 प्रतिशत) पर है।
पुराने नियम और बदलाव की वजह
पहले के नियमों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजमार्गों पर हर किलोमीटर की संरचना के लिए सामान्य टोल शुल्क का 10 गुना शुल्क देना पड़ता था। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुराना टोल गणना का तरीका ऐसी संरचनाओं के निर्माण की ज्यादा लागत को पूरा करने के लिए बनाया गया था। लेकिन अब सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की नई अधिसूचना ने फ्लाईओवर, अंडरपास और सुरंग जैसे हिस्सों के लिए टोल शुल्क को 50 फीसदी तक कम कर दिया है।