गडढा भराव और सड़क सुधार के लिए भले ही प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ जी और सरकार कितनी ही कोशिश क्यों ना कर रहे हो मगर संबंधित विभाग के कुछ अधिकारियों की इस मामले में लापरवाही और सीएम की भावनाओं के तहत जनहित में इस काम को पूरा करने में उदासीनता को देखते हुए अब तो यह लगने लगा है कि शायद साफ सुथरी सड़कों पर चलने का सपना आसानी से साकार नहीं होगा। बताते चलें कि जब योगी आदित्यनाथ ने पहली बार मुख्यमंत्री की गददी संभाली तो एक समय सीमा के अंदर प्रदेश की सड़कांे के गडढे भरने के निर्देश दिए गए थे। उसके बाद कैबिनेट बैठक में पास होने पर यह आदेश हुए कि जो सड़कें बनेंगी उनकी पांच और 20 साल की गारंटी रखरखाव की ठेकेदार की होगी। अब पिछले दिनों यह आदेश सीएम योगी द्वारा जनहित में दिया गया था कि दस अक्टूबर से पूर्व प्रदेश की सड़कों को गडढा मुक्त किया जाए लेकिन ताज्जुब इस बात का है कि ऐसा तो नहीं हो पाय लेकिन वर्तमान सरकार के चलते ही धार्मिक स्थलों प्रमुख मंदिरों को जाने वाले मार्ग की सड़कों में गडढें तो नजर आते हैं जो सड़कें अभी साल भर पहले बनी भी वो भी जर्जर हालत में पहुंच गई। अब सवाल उठता है कि अगर वर्तमान सरकार में जो धार्मिक भावनाओं का बहुत आदर करती है उसमें भी गडढा मुक्त सड़क उपलब्ध नहीं है तो वो कब होगी।
पिछले वर्षों में केंद्र सरकार से संबंध जनप्रतिनिधियों द्वारा घोषणा की गई थी कि अब देश की सड़कें अमेरिका जैसी बन जाएंगी। कुछ ने सांसद और फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी से सड़कों की तुलना करने की कोशिश की तो केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी नागरिकों के हित में सड़क सुधार के बारे में काफी दावे किए। और अच्छी बात यह रही है कि वो घोषणा तक सीमित नहीं रहे उनके लिए सरकार ने बजट मुहैया कराया लेकिन इसे हम अपना दुर्भाग्य ही कह सकते हैं कि सड़कों को गडढा मुक्त कराने वाले कुछ अफसरों की खाल मोटी हो गई और वो अपनी निरंकुश कार्यप्रणाली की सरकारी योजनाओं को जिस प्रकार नजर अंदाज कर रहे हैं उन्होंने सड़कों के गडढे भरवाने में भी लापरवाही की है। लेकिन सवाल यह उठता है कि सरकार चाहती है कि सड़क सुधरे और बजट भी दिया जा रहा है। कैबिनेट की बैठकों में भी चर्चा होती है और सीएम योगी भी घोषणाएं करते है। उसके बाद भी सत्ता और सत्ताधारी दल के सांसद विधायक और पार्टियों के अध्यक्ष व अन्य प्रमुख नेता इतनी बड़ी बात को नजरअंदाज कर खामोश कैसे बैठे हैं उनके द्वारा इस काम में अड़ंगा लगाने वाले नौकरशाहों के खिलाफ गांधीवादी तरीके से आवाज क्यों नहीं उठाई जा रही और सीएम को इससे अवगत क्यों नहीं कराया जा रहा कि जनहित की योजनाओं पर फलां अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं या जो काम कराए थे वो कुछ ही समय में तहस नहस हो गए। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। अब तो कितने ही नागरिक यह कहते सुने जाते हैं कि सरकार कम से कम धार्मिक स्थलों और मंदिरों के आसपास की सड़क तो आने जाने योग्य करवा दे। क्योंकि सड़कों की बुरी हालत के जीते जागते उदाहरण के रूप में हम उत्तरी भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े औघड़नाथ मंदिर और रूड़की रोड पर फ्लाईओवर से पहले शूटिंग रेंज के पास से होकर लावड़ रोड पर स्थित भैयाजी और उनके भक्तों द्वारा स्थापित किए गए मंदिर की खस्ता हाल सड़कों को देख सकते हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सरकारी आदेशों पर नहीं हुआ अमल! नहीं भर पाए गडढें और न ही सुधर पाईं सड़कें, मुख्यमंत्री जी! कम से कम धार्मिक स्थलों और मंदिरों को जाने वाले मार्गों का सुधार तो करा ?
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