Date: 05/02/2025, Time:

ChatGPT और DeepSeek जैसे AI टूल्स से दूर रहें सरकारी कर्मचारी, केंद्र सरकार का सख्त आदेश

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नई दिल्ली 05 फरवरी। भारत सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए ChatGPT, DeepSeek और दूसरे AI टूल्स के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। फाइनेंस मिनिस्ट्री की ओर से बुधवार(5 फरवरी) को जारी आदेश में कहा गया है कि सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी इन टूल्स का इस्तेमाल न करें। सरकार का कहना है कि इन AI प्लेटफॉर्म्स के जरिए संवेदनशील जानकारी लीक होने का खतरा बढ़ सकता है। सरकारी कंप्यूटर और लैपटॉप पर इनका इस्तेमाल करने से राष्ट्रीय सुरक्षा और गोपनीयता को नुकसान हो सकता है। सरकारी आदेश में कर्मचारियों को AI टूल्स से दूर रहने की सख्त चेतावनी दी गई है।

डेटा सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंताएं
भारत में AI ऐप्स का तेजी से उपयोग बढ़ रहा है। ChatGPT, DeepSeek, Google Gemini जैसे विदेशी AI टूल्स को लोग अपने कामकाज में इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, सरकार को चिंता है कि यह ऐप्स यूजर्स से उनके डिवाइस में मौजूद डेटा और जरूरी परमिशन की मांग करते हैं। इससे निजी और गोपनीय जानकारी लीक होने का खतरा बढ़ जाता है। सरकारी कर्मचारियों के सरकारी नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटरों पर इनका इस्तेमाल करने से सीक्रेट फाइलें और संवेदनशील डेटा असुरक्षित हो सकता है।

सरकारी कर्मचारियों के लिए नए दिशा-निर्देश
सरकार ने सभी मंत्रालयों और विभागों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अपने कर्मचारियों को ChatGPT और दूसरे AI टूल्स का इस्तेमाल करने से रोकें। आदेश में कहा गया है कि सरकारी कार्यालयों में AI प्लेटफॉर्म्स को नजरअंदाज करना जरूरी है। हालांकि, कर्मचारी चाहें तो अपने पर्सनल डिवाइस पर इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। सरकार जल्द ही सरकारी कामकाज में AI टूल्स के इस्तेमाल से जुड़ी एक व्यापक नीति लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस नीति में डेटा सुरक्षा के मानकों को स्पष्ट रूप से बताया जाएगा।

भारत में बढ़ रही AI ऐप्स की लोकप्रियता
भारत में AI टेक्नोलॉजी का असर तेजी से बढ़ रहा है। ChatGPT, DeepSeek, Google Gemini जैसे टूल्स कंटेंट राइटिंग, डेटा एनालिसिस, कोडिंग और ट्रांसलेशन में मददगार साबित हो रहे हैं। स्टूडेंट्स, प्रोफेशनल्स और बिजनेसमैन इन टूल्स का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। लेकिन, सरकार का मानना है कि इनका अनियंत्रित इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। डेटा प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए AI टूल्स के इस्तेमाल को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

कैसे काम करते हैं AI ऐप्स? AI ऐप्स और चैटबॉट का उपयोग कई लोग लैटर, आर्टिकल और ट्रांसलेशन के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा, प्रेजेंटेशन बनाने और अन्य कार्यालयी कार्यों के लिए भी इनका उपयोग किया जा रहा है। AI टूल्स यूज़र के इनपुट के आधार पर आउटपुट तैयार करते हैं और डेटा को प्रोसेस करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं।.

DeepSeek का बढ़ता प्रभाव और सुरक्षा मुद्दे
चीन का AI स्टार्टअप DeepSeek हाल ही में तेजी से लोकप्रिय हुआ है। यह स्टार्टअप जनवरी 2025 में अपने R1 चैटबॉट के कारण सुर्खियों में आया, जिसने कई AI कंपनियों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। हालांकि, DeepSeek के डेटा संग्रहण के तरीकों को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं। अमेरिका की संसद (यूएस कांग्रेस) ने अपने आधिकारिक उपकरणों में DeepSeek के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

अमेरिका और यूरोप में AI पर प्रतिबंध
अमेरिकी कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि कई चैटबॉट को सिस्टम में खतरनाक सॉफ़्टवेयर अपलोड करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, और DeepSeek को लेकर भी जोखिम बताए गए हैं। यूएस संसद के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर ने कहा है कि DeepSeek की सुरक्षा संबंधी जांच जारी है। यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिकी सरकार ने किसी AI टूल पर रोक लगाई हो। 2023 में भी ChatGPT के उपयोग पर सीमित प्रतिबंध लगाए गए थे, और अप्रैल 2024 में Microsoft Copilot पर भी प्रतिबंध लगाया गया था।.

इटली में DeepSeek की जांच शुरू
इटली की डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने 30 जनवरी 2025 को DeepSeek पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया और इसके खिलाफ जांच शुरू कर दी। डेटा सुरक्षा को लेकर DeepSeek की ओर से संतोषजनक जवाब न मिलने और यूरोपीय डेटा सुरक्षा कानूनों के अनुरूप न होने के कारण यह कार्रवाई की गई।

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