asd एंड्रॉयड यूजर्स का डाटा चोरी मामले में गूगल पर लगा 2,688 करोड़ रुपये जुर्माना

एंड्रॉयड यूजर्स का डाटा चोरी मामले में गूगल पर लगा 2,688 करोड़ रुपये जुर्माना

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नई दिल्ली 03 जुलाई। कैलफोर्निया में टेक कंपनी Google को एक बड़े कानूनी फैसले में $314.6 मिलियन (करीब 2,688 करोड़) का मुआवजा देना होगा. ये फैसला स्टेट कोर्ट सैन जोस ने Android स्मार्टफोन यूजर्स के हक में सुनाया है. ये मामला साल 2019 में शुरू हुआ था, जब कई यूजर्स ने Google पर आरोप लगाया था कि वो बिना इजाजत यूजर्स के फोन से डेटा इकट्ठा कर रहा है, वो भी तब जब फोन यूज में नहीं होता था.
इस केस में गूगल पर की आरोप लगाए थे जिसमें से कुछ ये हैं- Android फोन जब भी आईडल (Idle) यानी बंद होते हैं, तब भी Google डेटा भेज और ले रहा था.

गूगल ने फोन को इस तरह प्रोग्राम किया था कि अगर Wi-Fi न हो, तो भी डेटा Google के सर्वर पर भेजा जाता था. इसका मतलब ये हुआ कि यूजर्स का मोबाइल डेटा खर्च होता रहा, जिसका बिल यूजर को चुकाना पड़ा.

गूगल पर ये भी आरोप लगा कि उसने ये डेटा अपनी डिजिटल ऐड सर्विस, लोकेशन मैपिंग और Targeted Ads को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल किया.

क्या है मामला?
यह केस साल 2019 में दर्ज किया गया था, जिसमें करीब 1.4 करोड़ Android यूजर्स की ओर से दावा किया गया है कि Google ने उनके फोनों से चोरी-छुपे डेटा इकट्ठा किया। ये डेटा कथित तौर पर तब भी लिया जा रहा था जब फोन चालू था, लेकिन उपयोग में नहीं था। खास बात यह है कि इस प्रक्रिया में यूजर्स का मोबाइल डेटा भी खर्च हुआ, जिसकी उन्हें जानकारी तक नहीं थी।

इस केस में आरोप लगाया गया कि Google यह डेटा विज्ञापनों और अपने इंटरनल सर्विसेज को बेहतर बनाने के लिए चुपचाप इकट्ठा कर रहा था। जूरी ने माना कि यह डेटा कलेक्शन यूजर्स के अधिकारों का उल्लंघन है और इससे उनकी प्राइवेसी पर गंभीर असर पड़ा है।

वकील का बयान
यूजर्स की ओर से केस लड़ने वाले वकील ग्लेन समर्स ने इस फैसले को यूजर्स की जीत बताया और कहा कि यह मामला दिखाता है कि Google जैसी बड़ी कंपनी ने किस हद तक लोगों के भरोसे का गलत इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला Google के व्यवहार की गंभीरता को उजागर करता है।

Google का जवाब
हालांकि, Google ने इस फैसले से असहमति जताई है और फैसले को चुनौती देने की बात कही है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि यह फैसला Android की सुरक्षा, प्रदर्शन और विश्वसनीयता से जुड़े जरूरी फीचर्स को गलत तरीके से समझता है। Google का दावा है कि यूजर्स ने प्राइवेसी पॉलिसी के तहत इस डेटा कलेक्शन की सहमति दी थी और किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

अभी बाकी है बड़ी लड़ाई
फिलहाल, यह फैसला सिर्फ कैलिफोर्निया के यूजर्स के लिए है, लेकिन इस मामले की गूंज जल्द ही पूरे अमेरिका में सुनाई दे सकती है। बाकी 49 राज्यों के यूजर्स की ओर से भी इसी तरह का केस किया गया है, जिसकी सुनवाई अप्रैल 2026 में शुरू हो सकती है। अगर वहां भी Google को हार मिलती है, तो कंपनी को इससे भी ज्यादा जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।

डेटा प्राइवेसी को लेकर चिंता
इस मामले ने एक बार फिर डिजिटल प्राइवेसी और यूजर की सहमति (Consent) को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आज की डिजिटल दुनिया में जहां हर चीज ऑनलाइन होती जा रही है, वहां यूजर्स को बिना जानकारी के उनके डेटा का इस्तेमाल करना कानूनी और नैतिक दोनों ही रूप से गलत माना जा रहा है।

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