Date: 27/12/2024, Time:

राधा बन चर्चा में आये पूर्व आईजी ने दर्ज कराया 381 करोड़ की धोखाधड़ी का केस

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प्रयागराज 30 अक्टूबर। दूसरी राधा के नाम से प्रख्यात पूर्व आईजी डीके पांडा ने धूमनगंज थाना में अज्ञात के खिलाफ करीब 381 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई है. पांडा ने पुलिस को बताया कि उन्होंने लंदन की कंपनी ‘फिमनिक्स ग्रुप’ के साथ ऑनलाइन बिजनेस से करीब 381 करोड़ रुपये कमाए थे. 25 अक्टूबर को उनके मोबाइल पर आरव शर्मा नाम के व्यक्ति ने साइप्रस से व्हॉट्सएप कॉल की तथा अपशब्द कहते हुए धमकी दी. शिकायत के मुताबिक, ‘पांडा, आरव शर्मा नाम के व्यक्ति से कभी नहीं मिले. लंदन की कंपनी ‘फिमनिक्स’ के फाइनेंस डिपार्टमेंट में काम करने वाले राहुल गुप्ता के जरिये से वह आरव शर्मा के संपर्क में आए.’

पांडा ने तहरीर में बताया, ‘मैंने लंदन की कंपनी में कमाए पैसों को प्रयागराज में अपने बैंक खाता में ट्रांसफर कराने का प्रयास किया, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इसके बजाय, कंपनी के लोगों ने कई तरह के शुल्क का भुगतान करने की मांग की. इसी दौरान, आरव शर्मा से मामले से जुड़ा.’

पांडा का आरोप है कि आरव शर्मा ने उनके करीब 381 करोड़ रुपये खुद वसूल लिए. उनसे आठ लाख रुपये देने की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि रुपये देने से मना करने पर आरव ने धमकी दी कि वह उनके पैसों को आतंकियों को उपलब्ध करा देगा और उन्हें फंसा देगा. पांडा की तहरीर पर धूमनगंज थाना में 26 अक्टूबर 2024 को अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गयी है. जांच के बाद पूरे मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

प्रयागराज में तैनाती के दौरान पूर्व आईजी डीके पांडा 2005 में उस वक्त चर्चा में आये थे, जब वह कृष्ण भक्ति में लीन होने की वजह से राधा का रूप धारण कर बाजारों में निकलने लगे थे. यही नहीं होठ में लिपिस्टिक, कान में झुमका, नाक में नथिया और साड़ी पहनकर कार्यालय में जाने लगे थे. उनका कहना था कि वह श्रीकृष्ण प्रिया राधा रानी का स्वरूप हैं. इसके बाद पांडा की चर्चा देश-दुनिया में मशहूर हो गए थे. हालांकि सरकार के दबाव में रिटायरमेंट से दो साल पहले आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. डीके पांडा मूल रूप से उड़ीसा के रहने वाले हैं और धूमनगंज थाना क्षेत्र में ही घर बनाकर बस गए हैं. 2015 तक डीके पांडा राधा के रूप में ही नजर आते रहे. लेकिन इसके उनका स्वरुप बदला और पीतांबर धारण कर खुद की नई पहचान बाबा कृष्णानंद के रूप में बना ली.

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