लखनऊ 07 जून। पुलिस भर्ती में पूर्व अग्निवीरों को 20 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का शासनादेश शुक्रवार को यूपी सरकार ने जारी कर दिया. इसके तहत उत्तर प्रदेश पुलिस आरक्षी, पीएसी, आरक्षी घुड़सवार और फायरमैन की भर्ती में 20 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा. प्रमुख सचिव, गृह संजय प्रसाद की ओर से जारी किए गए आदेश में उन्हें अधिकतम आयु सीमा में तीन साल की छूट भी प्रदान किए जाने के निर्देश दिए गए हैं. अग्निवीर के रूप में चार साल की सेवा देने वालों को यह लाभ दिया जाएगा.
किन पदों पर मिलेगा आरक्षण?
पूर्व अग्निवीरों को ये आरक्षण नीचे दिए गए पदों पर सीधी भर्ती में मिलेगा:
– कांस्टेबल (आरक्षी नागरिक पुलिस)
– पीएसी (प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबल बल)
– घुड़सवार पुलिस (माउंटेड पुलिस)
– फायरमैन (दमकल विभाग)
क्या मिलेगा लाभ?
– 20% आरक्षण पूर्व अग्निवीरों के लिए तय किया गया है।
– उन्हें अधिकतम उम्र सीमा में 3 साल की छूट भी दी जाएगी।
– ये लाभ उन्हीं पूर्व अग्निवीरों को मिलेगा, जिन्होंने अग्निपथ योजना के तहत 4 साल की सेवा पूरी की हो।
सभी वर्गों में मिलेगा आरक्षण
– आरक्षण का लाभ हर वर्ग के पूर्व अग्निवीरों को मिलेगा:
-अगर कोई अग्निवीर एससी (अनुसूचित जाति) से है, तो उसे एससी कोटे में ही 20% आरक्षण मिलेगा।
– ओबीसी या सामान्य वर्ग के अग्निवीरों को भी उनके वर्ग के भीतर ही यह आरक्षण मिलेगा।
कैबिनेट में हुआ फैसला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस निर्णय का मकसद यह है कि जिन्होंने देश के लिए 4 साल सेवा की है, उन्हें आगे भी सुरक्षा बलों में सेवा देने का मौका मिले।
भर्ती कब से लागू होगी?
इस नई व्यवस्था के तहत भर्ती का पहला बैच साल 2026 में आएगा। यानी अग्निपथ योजना से पहले बैच के अग्निवीर जब सेवा पूरी करेंगे, तभी वे इस आरक्षण के लिए पात्र होंगे।
अन्य राज्यों में 10 फीसदी आरक्षण
वित्त मंत्री खन्ना खन्ना ने कहा था, ‘कई राज्यों और केंद्रीय बलों ने अग्निवीरों को आरक्षण देने के लिए पहल की है. सीआईएसएफ, बीएसएफ और हरियाणा तथा ओडिशा जैसे राज्यों ने पूर्व अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण की पेशकश की है. उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने अब 20 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी है, जो एक साहसिक और उदार पहल है.’ उन्होंने कहा, ‘यह न केवल उनकी (अग्निवीरों की) सेवा को मान्यता देता है बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि वे अपने सैन्य कार्यकाल के बाद भी देश के सुरक्षा ढांचे में योगदान देना जारी रख सकें.’