दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सहित विपक्ष के कई नेता यह कहते सुने जाते थे कि परिणाम आने के बाद यूपी में योगी आदित्यनाथ को किनारे कर दिया जाएगा। अभी तक सत्ताधारी दल के किसी बड़े नेता की इस बारे में कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है और ना ही कोई बदलाव की संभावना है। यह जरूर है कि जो यूपी के मंत्री चुनाव लड़े उनके और जिन क्षेत्रों में प्रदर्शन खराब रहा वहां के कुछ मंत्रियो को बाहर का रास्ता दिखाने के साथ ही कई के विभाग भी बदले जा सकते हैं। शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत का कहना है कि योगी को दरकिनार करने की कोशिश हो रही है। हमने हमेशा बाबा का सम्मान किया है लेकिन यह उनकी पार्टी का मामला है तो सपा नेता शिवपाल यादव द्वारा योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा देने की मांग की गई है। इसका कितना असर होगा यह तो समय बताएगा लेकिन जिस प्रकार से पीएम नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात हुई और अखबारों में जो दिखाई दे रहा है उससे यही लगता है कि ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। भविष्य में क्या हो जाए यह कोई नहीं कह सकता। यूपी में दर्जा प्राप्त मंत्री रहे भाजपा नेता सुनील भराला ने कई बिंदुओं को लेकर योगी आदित्यनाथ के प्रबंधन पर निशान लगाए हैं। उनके अनेक दावों को लागू करने में असफल रहने की ओर इशारा किया गया है। उनका कहना है कि कानून व्यवस्था यूपी में सही नहीं रही। अफसरों का भ्रष्टाचार भी नहीं रूक पाया। तो दूसरी ओर लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने हार का ठीकरा अफसरशाही के सिर फोड़ा। उन्होंने भाजपा की सीटें कम आने के लिए नौकरशाही को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाए जिनसे लगता है कि अगर अफसरों की लगाम कसी होती तो भ्रष्टाचार समाप्त हो सकता था और ऐसे चुनाव परिणाम नहीं आते थे।
मुख्यमंत्री योगी द्वारा प्रदेश में खाली पदों पर जल्द भर्ती करने की प्रक्रिया तेज की गई है तथा गांवों व शहरों में बिजली कटौती ना हो सिंगल यूज प्लास्टिक सहित जनहित में कई मुददों पर मंथन किया जा रहा है। जो इस बात का परिणाम है कि वो अपने पद को लेकर बेफिक्र है। और यह जानते हैं कि अभी कुछ होने वाला नहीं है।
यह बात सही है कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार से मुक्त प्रशासन की जो नीतियां घोषित की गई थी उन पर अनुकूल काम नहीं हुआ मििहलाओं से छेडछाड़ महंगाई रोकने पर काम नहीं हुआ लेकिन इसके लिए यूपी के सीएम योगी जिम्मेदार नहीं है। हर सांसद विधायक ओर पार्टी नेता मंत्री भी जिम्मेदार है। मुखिया नीति बनाता है लागू सहयोगी करते हैं लेकिन यहां सत्तादल के कुछ लोग सिवाय सुविधाओं का लाभ उठाने और अफसरों के दबाव में रहने तथा जनहित की नीतियां लागू करवाने में सफल नहीं रहे। आम आदमी की इस बात से मैं भी सहमत हूं और मानता हूं कि चुनाव परिणामों को ध्यान में रखकर निरंकुश अफसरों पर अब सीएम को सख्ती बरतनी होगी क्योकि अपने आप को सत्ताधारी दल का नेता या सरकारी गलियारों में पकड़ मजबूत बताने वाले सरकार को नुकसान पहुंचाने में भूमिका निभाते रहे हैं। मुझे लगता है कि सीएम योगी को ही बना रहना चाहिए क्योंकि किसी मामले में उन्हें सीधे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता और भ्रष्टाचार व लापरवाही से योगी का दूर तक रिश्ता नहीं है। दोषियों पर कार्रवाई हो लेकिन सीएम पर नहीं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
शासन प्रशासन और जनहित के लिए योगी आदित्यनाथ का सीएम बने रहना वक्त की बड़ी आवश्यकता
0
Share.