बिजनौर 04 नवंबर। आबादी और खेतों के पास से गिद्धों का कुनबा भले ही खत्म हो गया, लेकिन अमानगढ़ के आसमान में आज भी गिद्ध उड़ान भरते दिख रहे हैं। पांच प्रजाति के गिद्ध यहां दिखाई दे रहे हैं। हिमालय की पहाड़ियों के गिद्ध भी यहां मिले हैं। इस बार अमानगढ़ में पिछले साल से भी ज्यादा गिद्ध दिखाई दे रहे हैं। गिद्धों के झुंड दिखना यहां की जैव विविधता को भी दर्शाता है।
गिद्धों को प्रकृति का सफाइकर्मी कहा जाता है। ये बूढ़े या बीमार होकर मरे पशुओं व वन्यजीवों द्वारा शिकार करके खाए गए दूसरे जीवों के बचे मांस को खाते हैं। पहले घरों के आसपास भी गिद्ध दिखते थे, लेकिन अब आबादी के आसपास दिखाई नहीं देते। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ द्वारा किए गए सर्वे में अमानगढ़ में पक्षियों की 177 प्रजाति मिली हैं। अमानगढ़ में पांच प्रजाति के गिद्ध दिखे हैं। इनके नाम हिमालयन ग्रीफिन, इष्टि ग्रिफिन, सिनेरियस वल्चर, व्हाइट रंप्ड वल्चर और यूरेशियन वल्चर हैं। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर एआर रहमान अमानगढ़ में वन्यजीवों के फोटो अपने कैमरे में कैद कर रहे हैं।
अधिकांश प्रजाति के गिद्धों की गर्दन पर पंख नहीं होते। इसका कारण यह है कि वे जीवों गर्दन पर नहीं होते पंख अधिकांश के शव की खाल के अंदर गर्दन डालकर मांस खाते हैं। गर्दन पर पंख न होने की वजह से ही ये अजीब से दिखते हैं।
राजा होता है सिनेरियस वल्चर
सिनेरियस वल्चर यानि गिद्ध को किंग वल्चर भी कहा जाता है। इस प्रजाति के गिद्ध की गर्दन पर पंख होते हैं। जब कहीं गिद्धों का झुंड पशु का मांस खा रहा हो और किंग वल्चर वहां आ जाए तो बाकी गिद्ध वहां से स्वतः ही हट जाते हैं।
हिमालय के गिद्ध भी अमानगढ़ में
हिमालयन ग्रिफिन गिद्ध हिमालय की चोटियों पर देखा जाता है। हिमालय पर सर्दियों में होने वाली ज्यादा ठंड और बर्फवारी से बचने के लिए यह मानगढ़ में आता है। अमानगढ़ में गिद्धों के लिए सबसे शानदार परिस्थितियां उपलब्ध हैं।
अमानगढ़ में पक्षियों की 177 प्रजाति है। अभी भी सर्वे का कार्य तरह खत्म नहीं हुआ है और अभी पक्षियों की प्रजातियों में और वृद्धि हो सकती है।– अंशुमान मित्तल, एसडीओ, वन विभाग-
अमानगढ़ में इस साल पहले से ज्यादा गिद्ध दिख रहे हैं। गिद्धों की कई प्रजाति अमानगढ़ में हैं। सभी वन्यजीवों के लिए अमानगढ़ में आदर्श परिस्थितियां हैं। -ज्ञान सिंह, डीएफओ-