रुद्रप्रयाग 12 अक्टूबर। मध्यमेश्वर-पांडवसेरा-नंदीकुंड ट्रेक की जटिल परिस्थितियों को देखते हुए वन विभाग ने इस पर ट्रैकरों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र के साथ प्रशिक्षित एवं अनुभवी गाइड साथ ले जाने की भी अनिवार्यता कर दी है। ट्रैकरों को आपात स्थिति के लिए जरूरी उपकरण भी अनिवार्य रूप से साथ ले जाने होंगे। इस ट्रेक पर अब तक कई हादसे हो चुके हैं।
रुद्रप्रयाग व चमोली जिले के मध्य समुद्रतल से 18 हजार फीट की ऊंचाई से गुजरने वाले 78 किमी लंबे इस ट्रेक पर हर साल बड़ी संख्या में बंगाल, दिल्ली, मुंबई आदि स्थानों से ट्रेकिंग दल पहुंचते हैं। चार दिन में तय होने वाले इस ट्रेक पर मौसम पल-पल रंग बदलता है। कब वर्षा व बर्फबारी होने लगे, कहा नहीं जा सकता। यही वजह है कि पूर्व में यहां कई हादसे हो चुके हैं।
मई 2022 में इस ट्रेक पर चार ट्रेकर और उनकी साथ गए तीन पोर्टर लापता हो गए थे। तब रेस्क्यू दल ने हेलीकाप्टर की मदद से उनका पता लगाया और तीन दिन बाद उन्हें सुरक्षित निकाला जा सका। वर्ष 2019 में इस ट्रेक पर एक ट्रेकर की मौत हो गई थी, जबकि वर्ष 2016 में लापता हुए तीन में से दो ट्रैकर को जान गंवानी पड़ी। बीते चार अक्टूबर को भी मुंबई के 17 सदस्यीय दल के चार सदस्यों की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें हेली रेस्क्यू करना पड़ा।
केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी तरुण एस ने बताया कि अब मध्यमेश्वर-पांडवसेरा ट्रेक पर जाने वालों की सभी पहलुओं से स्वास्थ्य जांच की जाएगी। ट्रेकर दल को प्रशिक्षण प्राप्त गाइड ही साथ ले जाना होगा। बताया कि शुक्रवार को एक ट्रेकिंग दल में शामिल दो ट्रेकर स्वास्थ्य जांच में अनफिट मिले, उन्हें आगे नहीं जाने दिया गया।