लखनऊ 15 फरवरी। उत्तर प्रदेश उपभोक्ता विवाद एवं प्रतितोष आयोग ने आवंटित फ्लैट का कब्जा समय से न देने पर गौतमबुद्धनगर की एक बिल्डर कंपनी पर 30 लाख रुपये का जुर्माना ठोंका है। साकेत नई दिल्ली निवासी विजयेन्द्र देवगन बनाम जे. पी. एसोशिएट्स के मामले में आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति राजेन्द्र सिंह व विकास सक्सेना की बेंच ने यह फैसला दिया है।
आयोग ने कहा है कि विपक्षी बिल्डर कंपनी शिकायतकर्ता को पूर्ण विकसित फ्लैट पर कब्जा 30 दिन के अन्दर दे अन्यथा 30 दिन के बाद हर महीने एक लाख रुपये का हर्जाना कब्जा देने तक देय होगा। आयोग ने यह भी कहा है कि विपक्षी बिल्डर कंपनी जे. पी. एसोशिएट्स शिकायकर्ता द्वारा जमा की गई राशि पर जमा की तारीख से 12 प्रतिशत की दर से ब्याज अदा करे। साथ ही जे. पी. एसोशिएट्स शिकायकर्ता को पहली जुलाई 2011 से अदायगी की तारीख तक पांच लाख रुपये 12 प्रतिशत ब्याज के साथ बतौर हर्जाना अदा करे। इसके अलावा 50 हजार रुपये बतौर मुकदमा खर्च और 30 लाख रुपये का जुर्माना मानसिक यंत्रणा व अवसाद के लिए भी शिकायकर्ता को अदा करे।
दरअसल, विजयेन्द्र देवगन ने स्वयं व पत्नी के नाम एक फ्लेट जे. पी. एसोशिएट्स में बुक करवाया। जे.पी. एसोशिएट्स ने पहली अगस्त 2008 को आवंटित किया। 13 अप्रैल 2004 को उक्त फ्लैट देवगन परिवार को हस्तांतरित भी कर दिया। मगर देवगन परिवार को यह पता चला कि उक्त फ्लैट की मिट्टी में कुछ दोष होने के कारण वहां फ्लैट का निर्माण संभव नहीं है और न ही उक्त फ्लैट शिकायतकर्ता को दिया जा सकता है।
इसके बाद देवगन परिवार किराये के मकान में रहने चला गया। फिर उन्हें जे. पी. एसोशिएट्स ने नोटिस भेजा कि वह 42 लाख 79 हजार 678 रुपये जमा करें अन्यथा उनकी बुकिंग निरस्त कर दी जाएगी। आवंटन पत्र के अनुसार किस्तों का भुगतान भवन निर्माण से संबद्ध था। जे. पी. एसोशिएट्स अपने वायदे के अनुसार शिकायकर्ता को समय से अर्थात दिसम्बर 2012 तक फ्लैट नहीं दे सकी। इस बात से व्यथित होकर देवगन परिवार ने उपभोक्ता आयोग की शरण ली।