सरकार और संबंधित मंत्रालयों के तमाम प्रयासों के बावजूद समय असमय नकली नोटों को लेकर खबरें पढ़ने सुनने को मिल ही जाती है। सारी पुलिस प्रशासन खुफिया विभाग के सक्रिय होने के बाद भी ऐसा क्यों हो रहा है यह तो इसके प्रचलन को रोकने से संबंध ही जान सकते हैं लेकिन फिलहाल मेरठ के दो बैंकों से 11 नकली नोट आरबीआई को भेजे जाने से इस मामले में हड़कंप मचा हुआ है। एक खबर के अनुसार थाना सिविल लाइन में इंडियन बैंक और केनरा बैंक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई बताई गई है। यह मुकदमा बताते हैं कि आरबीआई कानपुर के एक अफसर की तहरीर और एसएसपी के आदेश के बाद दर्ज हुआ। बैंक में नोट कहां से आए और आरबी आई को कैसे भेजे गए यह विषय गंभीर जांच का है। क्योंकि बैंकों में नोट गिनने की मशीने और नकली नोट की पहचान के यंत्र और सुविधा भी मौजूद होती है और फिर नकली नोट तो मशीन गिनती नहीं पकड़ लेती है तो फिर पहले यह नोट बैंक में ही कैसे लिए गए और कर्मचारियों को क्यों पता नहीं चला यह बात विशेष सोचने की है। पिछले कुछ वर्षो में आए दिन खबरें पढ़ने सुनने को मिलती है कि पुलिस ने नकली नोट चलाते कुछ लोगों को पकड़ा। दूसरी तरफ अगर बैंक में किसी जानकारी के बिना नकली नोट लेकर पहुंच गया तो बैंक कर्मी उसे तुंरत कंडम करते हैं। इस तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जो एफआईआर हुई है उसमें जो होगा सो होगा लेकिन मेरा मानना है कि इसमें खुफिया तरीके से जांच होनी चाहिए कि कहीं संस्थान का कोई कर्मचारी इस खेल में शामिल ना हो। इस मामले में प्राप्त जानकारी अनुसार आरबीआई के कानपुर कार्यालय के एक बडे“ अफसर की तहरीर पर एसएसपी के आदेश पर थाना सिविल लाइन में इस संबंध में दो मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जिन बैंकों के शाखा प्रबंधकों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं उनमें इंडियन बैंक (इलाहाबाद बैंक) व कैंनरा बैंक के प्रबंधक शामिल हैं। निर्गत विभाग महात्मा गांधी मार्ग कानपुर स्थित आरबीआई कार्यालय के प्रबंधक दावा अनुभाग आईपीएस गहलौत की तहरीर में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक में अन्य बैंकों की चेस्ट शाखाओं से प्राप्त प्रेषण में (जो नोट भेजे जा रहे हैं) शायद जाली नोट अधिक संख्या में पाए जा रहे हैं।
जाली नोट का मुद्रण एवं परिचालन भारतीय दंड संहिता की धारा 489ए से 480ई तक के अंतर्गत अपराध है। अतरू मेरठ में जिन बैंकों की शाखाओं/चेस्ट से भेजे जाने वाली करेंसी में जाली नोट पाए जा रहे हैं। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराना रिजर्व बैंक की जिम्मेदारी बनती है। तहरीर में कहा गया है कि मेरठ जिन बैंकों के चेस्ट से नकली करेंसी आ रही है, वह किस थाना क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं यह जानकारी रिजर्व बैंक के लिए करना कठिनाई पूर्ण है। अतरू जाली नोटों को लेकर तहरीर के साथ जो सूची भेजी गयी है उसके आधार पर संबंधित बैंक के खिलाफ संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज करायी जाए। आईपीएस गहलौत की इस तहरीर पर अभी तक दो बैंकों इंडियन व कैनरा बैंक के शाखा प्रबंधकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा चुका है।
ये है प्रक्रिया
सूत्रों के अनुसार सभी बैंक राष्ट्रीय व प्राइवेट जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आधीन काम करते हैं, उनसे चेस्ट से दूसरे या तीसरे दिन कई कुछ और ज्यादा दिनों के बाद जो भी रकम जा होती है आरबीआई को भेजी जाती है। यह नियमित प्रक्रिया है। बताया जाता है कि बैंकों के चेस्ट से जो करेंसी भेजी जा रही है उनमें वर्तमान में बड़ी संख्या में नकली करेंसी निकल रही है। इसको लेकर आरबीआई गंभीर है।
-रोहित सिंह सजवाण, एसएसपी मेरठ का कहना है कि आरबीआई के अफसर की ओर से दी गयी तहरीर पर दो मुकदमे थाना सिविल लाइन में दर्ज कराए गए हैं।
नकली नोटों के नुकसार से आम आदमी को बचाने के लिए इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए। सिर्फ एफआईआर लिखे जाने से भी काम नहीं चलता है। और प्रथम दृष्टया इस प्रकरण में जो अधिकारी व कर्मचारी संदेह के घेरे में हों उन्हें पद से हटाकर बैंकों में उनका आना प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और जितने समय जांच चले उसका पैसा भी इन्हें नहीं मिलना चाहिए। क्योंकि ऐसे मामले देश की अर्थव्यवस्था बिगाड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
बैंकों में नकली नोटों का मिलना है गंभीर विषय
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