लखनऊ 24 सितंबर। परिवहन निगम की 20 बसों के फास्टैग हैक होने की सूचना से सोमवार को विभाग में हड़कंप मच गया. टोल प्लाजा पर इन बसों के फास्टैग को ब्लॉक बता दिया गया. कहीं पर टोल कर्मचारी ने बोला कि यह एसबीआई से जुड़ा है तो कहीं दूसरे बैंक का कहा गया. जबकि इन बसों के टैग एसबीआई के सरकारी बैंक खाते से सम्बद्ध है. ब्लॉक बताने की वजह से इन बसों के लिए दो गुना टोल टैक्स देना पड़ा. इसकी सूचना पर अफसरों ने स्टेट बैंक को देने के साथ ही साइबर पुलिस स्टेशन में भी कम्पलेन की है. अफसरों ने संभावना व्यक्त की है कि कहीं साइबर क्रिमिनल इस हरकत के जरिये सरकारी खाते से बड़ी रकम उड़ाने का कोशिश तो नहीं कर रहे थे. हालांकि देर रात तक खाते से रुपये कटने की सूचना नहीं मिली थी.
परिवहन निगम के जिन दो खातों से फास्टैग को सम्बद्ध किया गया है, उसमें करीब दो करोड़ रुपये की रकम जमा है. ये खाते एसबीआई और एक्सिस बैंक में है. सोमवार शाम चार बजे पहले कम बैलेंस का मैसेज आया. इस पर अधिकारी चौंके क्योंकि इन खातों में प्रतिदिन एक-दो करोड़ रुपये जमा होते हैं ताकि रोज चलने वाली करीब 11 हजार बसों के फास्ट टैग में कोई परेशानी न आए. कम बैलेंस को देखने के लिए औनलाइन फास्टैग चेक किया गया तो एसबीआई बैंक की स्थान आईडीएफसी दिखाने लगा जबकि इस बैंक से फास्टैग को सम्बद्ध ही नहीं किया गया है. फास्टैग के ब्लॉक बताने से यह धनराशि खातों में ही फंस गई है. उनसे रुपये नहीं कट रहे हैं. इस गड़बड़ी से टोल प्लाजा पर परिचालक दो गुना टैक्स अदा कर आगे रवाना हो पा रहे हैं.
फास्टैग से जुड़े खाते हैक हो जाने की सूचना पर इससे संबंधित विभाग भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम(यूपीएसआरटीसी), यूपी एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) और एसबीआई और एक्सिस बैंक के अफसरों को भी सावधान कर दिया गया. इस मुद्दे में वित्त परिवहन निगम के एआरएम राजकुमार निगम ने कहा कि फास्टैग में गड़बड़ी की कम्पलेन आई है. यह साइबर अपराधियों की बड़ी षड्यंत्र हो सकती है. खातों से अभी कोई धनराशि कटने की सूचना नहीं मिली है. एहतियात के तौर पर इस बारे में साइबर पुलिस स्टेशन में कम्पलेन की गई है. इसके अतिरिक्त विभाग के अफसरों और संबंधित कर्मचारियों को अलर्ट कर दिया गया है.