नई दिल्ली 04 जनवरी। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद राकेश टिकैत ने मीडिया को बताया कि उन्होंने केजरीवाल के साथ बैठक की। इस दौरान वकीलों के मुद्दों को लेकर चर्चा हुई। मई 2023 में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट दिल्ली गवर्नमेंट को दिया गया था, इसको लेकर बातचीत हुई। अरविंद केजरीवाल ने भरोसा दिलाया है कि सरकार बनने के बाद पहली मीटिंग में ये एक्ट पास होगा।
वहीं मुलाकात की तस्वीर शेयर करते हुए राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और संघर्षशील किसान नेता राकेश टिकैत के बीच सार्थक मुलाकात. किसानों और वकीलों के मुद्दों पर हुई चर्चा. उन्होंने बताया कि वकीलों के कुछ कल्याणकारी मुद्दे हैं, जिनको लेकर चर्चा की गई। इन मुद्दों में वकीलों की परिवहन सुविधा भी है। साथ ही एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को भी पास कराने के लिए चर्चा की गई। अरविंद केजरीवाल ने आश्वासन दिया है कि वे सरकार बनने के बाद इस एक्ट को पास कराएंगे।
वहीं टिकैत ने साझा किया कि उपस्थित अधिवक्ताओं ने कई कल्याणकारी मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं के कुछ कल्याणकारी मुद्दे थे। उन्होंने कहा कि जब उनकी सरकार आएगी तो वे पहली कैबिनेट बैठक में इन मुद्दों को संबोधित करेंगे। चिंताओं में से एक अदालतों के बीच वकीलों का परिवहन है।
टिकैत ने आगे कहा कि नई सरकार बनने के बाद एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पर भी विचार किया जाएगा और उसे पारित किया जाएगा। आप के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने भी टिप्पणी की कि बैठक अच्छी रही और उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता केसी मित्तल के साथ वकीलों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि राकेश टिकैत की अरविंद केजरीवाल के साथ बहुत अच्छी मुलाकात हुई। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता केसी मित्तल के साथ वकीलों से संबंधित कुछ मुद्दों पर चर्चा की।
यह बैठक खनौरी में पंजाब-हरियाणा सीमा पर किसानों के चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच हुई, जहां वे केंद्र सरकार से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं। दिल्ली की ओर उनके मार्च को सुरक्षा बलों ने रोक दिया, जिससे उन्हें इन सीमा स्थलों पर अपना विरोध जारी रखने के लिए मजबूर होना पड़ा।