asd प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन

प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन

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मुंबई 10 अक्टूबर। भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं रहे। 10 अक्टूबर, 2024 को 86 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ, जिसने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में शोक की लहर दौड़ा दी। उन्होंने बुधवार देर रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल की इंटेसिव केयर यूनिट (ICU) में भर्ती थे और उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। टाटा का पार्थिव शरीर नरीमन पॉइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में रखा गया है। यहां लोग शाम 4 बजे तक अंतिम दर्शन कर सकेंगे। शाम को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

रतन टाटा का जीवन और कार्य एक प्रेरणा बनकर उभरे हैं, और उनकी कमी को महसूस करना सभी के लिए कठिन होगा।
रतन टाटा के योगदान और उपलब्धियों के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) से सम्मानित किया गया था। रतन टाटा पारसी समुदाय से थे, और उनका अंतिम संस्कार पारसी परंपरा के अनुसार किया जाएगा। फिलहाल रटन टाटा के पार्थिव शरीर को सुबह करीब 10.30 बजे एनसीपीए लॉन में ले जाया जाएगा, ताकि लोग दिवंगत आत्मा को अंतिम श्रद्धांजलि दे सकें।

रतन टाटा पारसी समुदाय से आते हैं लेकिन उनका अंतिम संस्कार पारसी रीति रिवाजों की जगह हिन्दू परंपराओं के अनुसार किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को शाम 4 बजे मुंबई के वर्ली स्थित इलेक्ट्रिक अग्निदाह में रखा जाएगा। यहां करीब 45 मिनट तक प्रेयर होगी, इसके बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। रतन टाटा का पार्थिव शरीर कोलाबा स्थित उनके घर ले जाया गया है। गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार वर्ली के श्मशान घाट में किया जाएगा। सुबह करीब 10:30 बजे उनके पार्थिव शरीर को एनसीपीए लॉन में रखा जाएगा, ताकि लोग दिवंगत आत्मा को अंतिम श्रद्धांजलि दे सकें। बाद में, शाम 4 बजे, पार्थिव शरीर नरीमन पॉइंट से वर्ली श्मशान प्रार्थना हॉल के लिए अंतिम यात्रा पर निकलेगा।

परिवार के अनुसार, श्मशान घाट पर उनके पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा जाएगा, और पुलिस की बंदूक की सलामी दी जाएगी। इसके बाद पारसी रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार संपन्न होगा। पारसी समुदाय का अंतिम संस्कार हिंदू, मुस्लिम और ईसाई परंपराओं से काफी अलग है। पारसी अपने मृतकों को जलाते नहीं हैं, और न ही दफनाते हैं। उनकी परंपरा लगभग 3,000 साल पुरानी है, जिसमें शवों को “टावर ऑफ साइलेंस” या दखमा में रखा जाता है।

रतन टाटा ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं और टाटा ग्रुप को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया। उनका दृष्टिकोण और नेतृत्व क्षमता ने टाटा समूह को एक नई दिशा दी, जिससे यह न केवल एक सफल व्यवसाय बना, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी निभाने में भी अग्रणी रहा। वे हमेशा सामाजिक उत्थान और विकास के लिए प्रतिबद्ध रहे, जिससे कई लोग लाभान्वित हुए।

स्वास्थ्य और सोशल मीडिया पर सक्रियता
हाल ही में, रतन टाटा की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर कई अफवाहें फैलने लगी थीं। उन्होंने इन अफवाहों का खंडन करते हुए खुद ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा किया। यह पोस्ट उनके जीवन का अंतिम संदेश बन गया और उन्होंने अपने फॉलोअर्स को अपनी स्थिति के बारे में जानकारी दी।

रतन टाटा का आखिरी पोस्ट
अपने आखिरी पोस्ट में, रतन टाटा ने सभी को धन्यवाद दिया और कहा, “मेरे बारे में सोचने के लिए धन्यवाद।” उन्होंने आगे लिखा, “मैं अपने स्वास्थ्य के बारे में हाल ही में फैली अफवाहों से अवगत हूं और सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि ये दावे निराधार हैं। मैं वर्तमान में अपनी उम्र और संबंधित चिकित्सा स्थितियों के कारण चिकित्सा जांच करवा रहा हूं। चिंता का कोई कारण नहीं है। मैं अच्छे मूड में हूं और अनुरोध करता हूं कि जनता और मीडिया गलत सूचना फैलाने से बचें।” यह पोस्ट उनके जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है। रतन टाटा ने अपनी आखिरी सांस तक काम और सामाजिक उत्थान के लिए अपने समर्पण को नहीं छोड़ा।

उनकी मृत्यु के बाद, विभिन्न क्षेत्रों से लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उद्योगपति, नेता, कलाकार और आम लोग सभी ने उनके योगदान और सोच को याद किया। रतन टाटा का नाम भारतीय उद्योग जगत में हमेशा जीवित रहेगा। उनकी जीवनशैली, उनके कार्य और उनके दृष्टिकोण ने न केवल उनके साथियों को, बल्कि अगली पीढ़ियों को भी प्रेरित किया। उन्होंने समाज के लिए जो किया, वह एक मिसाल बन गया है।

टाटा चेयरमैन एन चंद्रशेखरन: हम अत्यंत दुख के साथ रतन टाटा को विदाई दे रहे हैं। समूह के लिए टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं ज्यादा थे। मेरे लिए वे एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे।

राष्ट्रपति मुर्मू: भारत ने एक ऐसे आइकॉन को खो दिया है, जिन्होंने कॉर्पोरेट ग्रोथ, राष्ट्र निर्माण और नैतिकता के साथ उत्कृष्टता का मिश्रण किया। पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा ने टाटा ग्रुप की विरासत को आगे बढ़ाया है।

PM नरेंद्र मोदी: टाटा एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक टाटा ग्रुप को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। उनका योगदान बोर्ड रूम से कहीं आगे तक गया।

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