जब कहीं देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले नाम अनाम शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों की बात चलती है और देशभक्ति से परिपूर्ण संबंध गीत बजते हैं तो युवा पीढ़ी आज भी गौरवान्वित होते हुए अपने वीर पूर्वजों से संबंध किस्से और उनकी वीर गाथाएं सुनते हैं। तो फिर जब देश को आजाद कराने का माहौल चारों तरफ बना हुआ था और आजादी के दीवानों ने घर घर में स्वतंत्रता की लौ जलाने में कामयाबी प्राप्त कर ली थी ऐसे में उस समय के नौजवान स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने के लिए इतना बेताब होंगे इसका अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं कि रतन लाल गर्ग जी ने 16 साल की उम्र में इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया तथा 16 अगस्त 1942 को मेरठ जनपद की मवाना तहसील में हुए बर्बर गोलीकांड में आहत हुए स्वतंत्रता सेनानियों की सेवा की और 22 अगस्त 1942 को गिरफ्तार हो गए तथा 23 फरवरी 1943 तक डीआईआर की धारा 26 के अंतर्गत जेल में रहे। यह था स्वतंत्रता सेनानियों का जलवा और उनसे प्रेरणा लेकर युवाओं में उपजा जोश। हर साल आजादी के बाद से शहीदों को श्रद्धांजलि देने हेतु उत्तरी भारत के प्रसिद्ध काली पलटन मंदिर में मौजूद क्रांति शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि देने हेतु पहले स्वतंत्रता सेनानी एकत्र हुआ करते थे अब उनके वंशज इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं।
आज जिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष प्यारेलाल शर्मा ट्रस्ट के उपमंत्री राजीव गर्ग एडवोकेट एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिषद के महामंत्री कृष्णपाल सिंह आदि की मौजूदगी में मंदिर सभागार में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही उनके प्रेरणादायक प्रसंग याद कर युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन किया जाता है। इतना ही नहीं आज के दिन जनपद में शहीद स्मारक और शहीद द्वार बने हुए हैं उन सहित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और नाम अनाम शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर याद किया जाता है। स्वतंत्रता संग्राम के प्रति आम आदमी में देशभक्ति का कितना जूनुन रहा होगा इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि सदर क्षेत्र की नगरवधु हीराबाई ने जब सैनिकों का यह कहकर अपमान किया कि चूड़ियां पहन लो। उससे अपने आप को अपमानित महसूस करने वाले भारतीय सैनिकों द्वारा 9 मई 1857 को मेरठ के परेड मैदान में आपत्तिजनक कारतूसों का विरोध करते हुए अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ मंगल पांडे की तरह विरोध किया। आज सुबह से ही पूरे जनपद में क्रांतिवीरों की गाथा का गुणगान करने के साथ साथ युवा पीढ़ी में शहीदों और स्वतंत्रता सैनानियों के द्वारा किए गए कार्य की प्रेरणा का समावेश हो सके इसके लिए प्रभात फेरियां दौड़ और गोष्ठियां आयोजित की गई। प्रातः गांधी आश्रम से प्रभात फेरी निकली तो काली पलटन मंदिर में श्रद्धांजलि दी गई और शहीद स्मारक पर भी आयोजन हुए। सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए द्वारा आजादी से संबंध तिलक पुस्तकालय एवं वाचनालय में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें शहीदों को नमन करने के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उन्हें पुष्पांजलि दी गई। भाजपा के राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने मांग की है कि मेरठ के मेट्रो स्टेशन में से एक का नाम धनसिंह कोतवाल के नाम पर रखा जाए। मेरा मानना है कि इसके अतिरिक्त कैलाश प्रकाश रतन लाल गर्ग आदि सहित सर्व समाज के जिन देशभक्तों ने आजादी की कं्रांति की मशाल जलाकर अपने प्राणों की आहूति दी उनके नाम पर जनपद में स्मारक बनाएं आए और बाजारों के नाम इन क्रांतिकारियों के नाम पर रखे जाएं तथा सरदार भगत सिंह को दिया जाए शहीद का दर्जा। बताते हैं कि आजादी की लड़ाई में युवाओं के साथ बच्चों ने भी भाग लिया था। मुझे लगता है कि उनके बारे में पताकर उनके परिवारों को भी सम्मान देने की व्यवस्था शासन प्रशासन को करते हुए इस बात का ध्यान रखकर कि इस खुली हवा में आजादी के साथ बोलने और संास लेने का अवसर और आज जो सुख सुविधा हम भोग रहे हैं उनमें कहीं ना कहीं हमारे पूर्वजों का बड़ा योगदान रहा है। अब उनमें से बहुत कम संख्या में स्वतंत्रता सेनानी हमें आशीर्वाद देने के लिए शायद बचे हो लेकिन उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकारों को किसी योजना के तहत हर स्वतंत्रता सेनानी के परिवार को कम से कम 50 हजार रूपये माह की पेंशन और उनके परिवारों के बारे में पता कर उनकी समस्याओं के समाधान का प्रयास किया जाए क्योंकि कई बार सुनने को मिलता है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के वंशजों की जमीन कुछ दबंगों द्वारा छीन ली गई या उनके पास इलाज के लिए पैसा नहीं है या उनके बच्चों की शादी में परेशानी आ रही है। ऐसे मामलों में सरकारी स्तर पर देश को आजाद कराने वालों के परिवारों को हर सहयोग दिया जाए और दस मई को ही नहीं साल भर में 15 अगस्त 26 जनवरी 2 अक्टूबर आदि पर 11-11 स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों का सम्मान किया जाए जिससे हमारी पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके और वह आगे बढ़कर पूर्वजों के दिखाए मार्ग पर चलने में पीछे ना हटे। इसलिए हर बाजार व चौराहों का नामकरण शहीदों के नाम पर हो।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार को दी जाए 50 हजार पेंशन, हर राष्ट्रीय पर्व पर किया जाए सम्मान और कराया जाए उनकी समस्याओं का समाधान, शहीदों के नाम पर हो बाजारों के नाम
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