दुनियाभर में आज जनसंख्या नियंत्रण दिवस मनाया जा रहा है। कई संगठनों ने समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर आग्रह किया है कि गिनती प्यार की हो लोगों की नहीं। प्यार की जिम्मेदारी निभाओ दुनिया की भीड़ में समझदारी दिखाओ। अगर सोचें और देखें फिलहाल हर जागरूक नागरिक यही कहेगा कि जनसंख्या पर नियंत्रण होना चाहिए क्योंकि जिस प्रकार से भारत में आबादी बढ़ रही है वो बहुत जल्दी विस्फोटक हो सकती है। इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए पिछले 31 साल में यूपी के मेरठ निवासी सुरभि परिवार के दिनेश तलवार अपनी पत्नी के साथ कन्याकुमारी से कश्मीर तक इस बारे में काफी प्रयास किए जा रहे है। उनके द्वारा 1994 में जनसंख्या को लेकर आंदोलन की शुरूआत की गई थी। कहीं उलटे चलकर तो कहीं धरना देकर तो कहीं नुक्कड़ नाटक कर तलवार दंपत्ति 31 साल में 350 शहरों में जनसंख्या नियंत्रण की अलख जगा चुके हैं। अकेले दिल्ली के जंतर मंतर पर सौ बार उनके द्वारा लोगों तक अपनी आवाज पहुचाने का प्रयास किया गया है।
इसी प्रकार सेव इंडिया फाउंडेशन के वरिष्ठ पत्रकार यूटयूब चैनल पॉलिटिकल अडडा के राजेश शर्मा भी सक्रिय हैं और मेरठ में केंद्रीय मंत्री को बुलाकर और जनप्रतिनिधियों से मिलकर इस बारे में आवाज उठाई द्वारा चुकी है। फिलहाल सुरभि परिवार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण दिवस पर कार्यक्रम आयोजित कर जनसंख्या नियंत्रण की शपथ दिलाई गई। दूसरी तरफ सामाजिक संगठन कोशिश द्वारा आधा पेट नाटक कर अजय सेठी मनमोहन भल्ला आदि के साथ जागरूकता का प्रयास इस बारे में कर रहे हैं। उनके साथ उमेश सिंघल, मुफती मोहम्मद, वीरेंद्र रस्तोगी, मोहम्मद फुरकान महक राजपूत, सीमा रानी संजय माथुर आदि सक्रिय रहे। सवाल उठता है कि विश्व जनसंख्या दिवस हम हर साल मनाते हैं। अब धीरे धीरे यह 142 करोड़ के लगभग की संख्या सपने हैं या चुनौतियां इस विषय पर भी आम आदमी को सोचना होगा। और हर हाल में जनसंख्या का बोझ कम करने का समय आ गया है। इसके लिए नाकाम कोशिश नहीं भविष्य की कुछ बातों को ध्यान में रखकर प्रयास करने होंगे।
क्योंकि अगर दूसरे दृष्टिकोण से देखें तो बढ़ती आबादी कोई बड़ी समस्या नहीं है। इससे उत्पन्न होने वाली परेशानियों का समाधान पूर्व में ही सोचकर चलना होगा। क्योंकि अगर हम जल जमीन और पेड़ों का आवश्यकतानुसार उपयोग कर उसे बर्बाद ना करें। दो गिलास पानी की आवश्यकता है तो दो बाल्टी खराब ना की जाए। सरकार ने बहुमंजिला इमारत बनाने का काम शुरू किया है। छतों पर अन्न और सब्जियों की खेती कर जो जमीन घर बनाने के लिए खर्च हो रही है उसकी कमी पूरी कर सकते हैं।
मैं हमेशा यह कहता रहा हूं कि जनसंख्या नियंत्रण वक्त की मांग है और प्रयास होने चाहिए मगर पड़ोसी देश में जिस प्रकार से युवाओं की कम होती आबादी और बुजुर्गो ंकी बढ़ती तादात को ध्यान में रखकर एक की बजाय दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दी जा रही है उसे ध्यान में रखते हुए अपने यहां भी पूर्ण प्रयास हो क्योंकि 2061 में भारत की आबादी में गिरावट आने लगेगी। बुजुर्गो की संख्या में इजाफा होगा और युवाओं की संख्या कम होने लगेगी। 2100 तक बुजुर्ग आबादी 2.4 अरब होगी।
दुनिया में भारत चीन अमेरिका सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश हैं। लेकिन पिछले दिनों एक खबर पढ़ने को मिली कि दुनिया के कई देशों में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए गर्भधारण करने वाली लड़कियों और महिलाओं को पुरस्कार दिए जाने के साथ ही कई देशों में नाबालिग लड़कियों को गर्भ धारण करने की अनुमति दी जा रही है। अन्य प्रयास भी हो रहे बताते हैं।
इन सब तथ्यों को देखकर समझ आता है कि दुनियाभर की जनसंख्या और पड़ोसी देशों पर निगाह रखी जाए और बुजुर्गो की संख्या ज्यादा ना बढ़ पाए इसके लिए सामाजिक संतुलन बनाना वक्त की जरूरत है। इस बारे में हमे ही सोचना होगा। इसलिए जनसंख्या नियंत्रण के साथ साथ हमें आबादी के अनुसार जल स्त्रोंतों की संख्या बढ़ाने उत्पादन में बढ़ोत्तरी करने पहाड़ों का कटान रोकने और जमीन का ज्यादा उपयोग करने व पेड़ लगाने की आवश्यकता है। पौधारोपण के मामलें में सरकार काफी काम रही है। आवश्यकता उनकी निगरानी की है और यह आगे चलकर ऑक्सीजन पानी और रोटी उपलब्ध करा पाएंगे।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
जमीन पेड़ पहाड़ और जल का दोहन बंद हो! जनसंख्या नियंत्रण के साथ ही वृद्धों की संख्या ना बढ़े इस पर भी ध्यान देना होगा, दुनिया के देशों में आबादी किस हिसाब से बढ़ रही है सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह देखना भी जरूरी है
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