धार्मिक आस्था से जुड़ी कांवड़ यात्रा एक ऐसा पर्व है जिसके चलते हरिद्वार व अन्य जगहों से गंगाजल लेकर चलने वाले कांवड़ियों की जय जयकारों की गूंज 100 किमी तक सुनी जाती है। कांवड़ उठाने के बाद भोले शंकर ही भाव है। वर्तमान समय में कांवड़ महिला पुरूष बच्चे भी लाते है। पिछले चार दशक में शिवभक्तों की संख्या में कई गुना इजाफा हुआ है। जल लाने के लिए शरीर शुद्ध और मन निर्मल होना जरूरी है। इसके लिए शासन प्रशासन पुलिस सहित धार्मिक और सामाजिक राजनीतिक संगठनों के लोग भी सक्रिय दिखाई देते हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ का कहना है कि कांवड़ यात्रा मंे विघ्न डालने पर होगी सख्त कार्रवाई। इनके जाने वाले मार्गों की निगरानी के लिए वॉच टावर और सीसीटीवी कैमरों के साथ अन्य व्यवस्थाएं की गई हैं। कुल मिलाकर कहने का मतलब है कि भक्ति के साथ साथ देशभक्ति का रंग यात्रियों में दिखाई दे रहा है। हम सबकी जिम्मेदारी भी है कि यह पर्व र्नििर्वघ्न संपन्न हो। तपती धरती आग उगलता आसमान सड़कों के कंकड़ पत्थर और बरसात की चिंता किए बिना जब कांवड़िया चलता है तो उसे अपने गंतव्य तक पहुंचने के अलावा कुछ नहीं दिखता।
सीएम और गृहमंत्री देश का हर नागरिक इनकी कुशलता और परेशानियों का हल निकालने के लिए सहयोग कर रहा है। ऐेसे में व्यवस्थाओं के नाम पर आम आदमी का मानसिक आािर्थक उत्पीड़न हो रहा है जिसे उचित नहीं कहा जा सकता। अभी हरिद्वार से मुजफफरनगर तक तो सिंगल रूट की व्यवस्था की जानी थी कह सकते हैं लेकिन अभी आठ दिन शिवरात्रि में बाकी है। इस दौरान कांवड़िये 150 किमी तक की यात्रा आसानी से कर लेते हैं। सबसे ज्यादा जोर दो या चार दिन पहले रहता है। इसलिए इसकी समीक्षा कर व्यवस्था की जाए तो ज्यादा अच्छा है। बीती रात को मोदीपुरम से लेकर परतापुर चौराहे तक कई घंटे का जाम लगा रहा। फ्लाईओवर से उतरने के बाद बागपत चोैराहे तक कई घंटे जाम में फंसना पड़ा जिससे मानसिक उत्पीड़न और ईधन की बर्बादी से इनकार नहंीं कर सकते। शहर में भी जबरदस्ती यातायात व्यवस्था बनाने के नाम पर कई जगहों जाम रहा। इससे नागरिक परेशान और त्रस्त हैं। मेरा जनप्रतिनिधियों से आग्रह है कि अधिकारियों से मिलकर नागरिकों की परेशानियों को ध्यान में रखकर योजनाएं बनवाएं। क्योंकि फोटो सेसन और व्यवस्था के नाम पर नागरिकों के समय और धन की बर्बादी नहीं होनी चाहिए। यह भी ध्यान रखा जाए कि जब भी कहीं कोई समस्या दिखाई देती है तो पुलिसकर्मी दुर्व्यवहार करने पर उतारू हो जाते हैं। एक सज्जन का यह कहना सही लगा कि आप पांच घंटे से खड़े हैं हम आपके आभारी हैं लेकिन डयूटी का मेहनताना तो मिलेगा लेकिन जो जाम में फंस रहे हैं उनके नुकसान की भरपाई कौन करेगा। यह तो जिम्मेदारी है। व्यापारी मजदूर सब अपना काम कर रहे हैं। कांवड़ यात्रा की व्यवस्था किसी अहसान जताने की जरूरत नहीं है। जनप्रतिनिधियों को अधिकारियों से मिलकर आवागमन में सुधार कराना चाहिए। क्योंकि यह जाम ऐसे ही लगते रहे तो कुछ वर्षों में कांवड़ मेले के दौरान लोगों का घरों से निकलना बंद कर दिया तो अजूबा नहीं होगा।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कांवड़ मेले में सभी कर रहे हैं सहयोग व्यवस्था के नाम पर मानसिक सामाजिक आर्थिक उत्पीड़न सहीं नहीं! फोटो सेशन हो बंद, जनप्रतिनिधि अफसरों से करें संवाद
0
Share.