वैसे तो अब देश में ज्यादातर त्योहार सदभाव और आपसी भाईचारे के रूप में मनाए जाते हैं। होली का त्योहार ऐसा होता है जिसमें रंग गुलाल उड़ाए जाते हैं जिसे हमारे मुस्लिम भाई दूर रहते हैं। लेकिन अब लगभग दस साल से या तो अपने आप ही इस दिन रंगों से गुरेज करने वाले बाहर नहीं निकलते या जो लोग मनाते हैं वो ही दिखाई देते हैं। लेकिन इस बार दूल्हैंडी के दिन जुम्मा है। और इस दिन जो समय होली खेली जाएगी वो ही समय नवाज का होता है। अब इसे लेकर किसी भी प्रकार के भाईचारे और सदभाव में खटास ना हो इसके लिए दो सुझाव सामने आए। पहले सुझाव में एक खबर के अनुसार रमजान का दूसरा जुमा और होली एक ही दिन पड़ रही है। इसे देखते हुए इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और ईदगाह के पेश इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने रोजेदारों, नमाजियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि इस साल रमजान के दूसरे जुमे यानी 14 मार्च को हमारे दूसरे भाइयों का त्योहार होली है। इस दौरान दोपहर करीब एक बजे तक रंग खेला जाता है। ऐसे में मस्जिदों के इमामों,कमेटियों के जिम्मेदारों से अपील की गई है कि जिन मस्जिदों में जुमे की नमाज 12ः30 से एक बजे के बीच होती है, वहां 14 मार्च को इसका वक्त दो बजे कर लें। साथ ही इस दिन नमाज दूर के बजाय अपने मोहल्ले की मस्जिद में अदा करें। जामा मस्जिद ईदगाह लखनऊ में जुमे की नमाज 14 मार्च को दो बजे अदा की जाएगी।
दूसरी ओर शांति बनाए रखने के काम में लगे सुरक्षा और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा शांति समितियों की जो बैठक बुलाई जा रही है उसमें एक खबर के अनुसार आगामी होली के त्यौहार और रमजान माह में शांति सौहार्द बनाए रखने के उद्देश्य से बृहस्पतिवार को संभल कोतवाली पुलिस थाना में हुई शांति समिति की बैठक में पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) अनुज चौधरी ने कहा कि यदि किसी को लगता है होली के रंग से उसका धर्म भ्रष्ट होता है तो वह उस दिन घर से ना निकले। शांति समिति की बैठक में सीओ ने दोनों समुदायों के लोगों से एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने का आग्रह किया। शांति समिति की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सीओ चौधरी ने कहा कि जिस प्रकार से मुस्लिम बेसब्री से ईद का इंतजार करते हैं, उसी तरह हिंदू होली की प्रतीक्षा करते हैं। होली का त्यौहार 14 मार्च को है और इसी दिन जुमा की नमाज भी होगी। सीओ ने कहा कि होली का दिन वर्ष में एक बार आता है, जबकि जुमा साल में 52 बार आता है। यदि किसी को लगता है कि होली के रंग से उसका धर्म भ्रष्ट होता है तो वह उस दिन घर से ना निकले। अनुज चौधरी ने लोगों से अपील की कि वे उन लोगों को जबरदस्ती रंग ना लगाएं जो होली नहीं मनाना चाहते। सीओ ने कहा कि शांति समिति की बैठक सभी स्तर पर चल रही है। चूंकि संभल में तीन महीने पहले शांति भंग हुई थी इसलिए यहां बेहद सतर्कता बरती जा रही है। चौधरी ने शरारती तत्वों को चेतावनी भी दी और कहा कि शांति व्यवस्था भंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अगर ध्यान से देखें तो एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी और दूसरे मुस्लिम समाज के प्रभावशाली व्यक्ति हैं और दोनों ने ही जो सुझाव दिया है उसके शब्द भले ही अलग-अलग हो मगर वो एक ही भावना से ओतप्रोत है। इसलिए मौलाना खालिद रशीद फिरंगी और सीओ संभल के बयान में शब्दों का आकलन ना कर त्योहार को भाईचारे और सदभावना पूर्ण माहौल में मनाने तथा सांप्रदायिक सौहार्द और एकता का संदेश देने हेतु जो लोग रंगों को पसंद नहीं करते वो जब यह खेला जाए तो उस समय अपने घरों में ही रहे और जो खेलते हैं उनका स्वागत है चाहे वह किसी जाति या संप्रदाय से क्यों ना हो।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
शब्द भले ही अलग हो उददेश्य एक हैं, प्यार से मनाएं होली, रंग से जिन्हें परेशानी है वो ना आएं बाहर
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