मेरठ 12 फरवरी (प्र)। महाराज मैंने अपनी नौकरी के दौरान कई एनकाउंटर किए, मुझे कई सम्मान मिले, राष्ट्रपति वीरता पदक भी मिला। एक मुठभेड़ में मुझे गोली लगी, मेरी मत्यु का समाचार भी जारी हो गया लेकिन प्रभु की कृपा से मैं बच गया। मेरा मन अब बहुत विचलित है, मैं अपने कतर्व्य पथ पर चलता रहूं या फिर प्रभु की शरण में आ जाऊं। प्रेमानंद महाराज से यह सवाल किया मेरठ में एक साल पहले बदमाशों से लोहा लेते हुए बदमाशों की गोली सीने पर खाने वाले दरोगा मुनेश सिंह का। प्रेमानंद महाराज की शरण में पहुंचे दरोगा के सवालों के महाराज ने बखूबी जवाब दिया।
मेरठ के सिविल लाइन थाने में तैनात दरोगा मुनेश सिंह पिछले वर्ष कंकरखेड़ा थाने में तैनात थे। 22 जनवरी 2024 को वाहन लूटकर फरार होने वाले बदमाशों को मुनेश सिंह ने दिलेरी दिखाते हुए घेर लिया और आमने-सामने की गोलीबारी में दरोगा मुनेश सिंह को सीने में गोली लगी। 33 दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद मौत से लड़कर वापस लौटे दरोगा मुनेश कुमार 10 फरवरी को वृंदावन में प्रेमानंद महाराज के आश्रम पहुंचे। महाराज ने उनके सवालों का जवाब देते हुए कहाकि हम इसी सांसारिक धर्म निर्वाह के चक्कर में मनुष्य जीवन का जो मूल कर्तव्य है भगवत प्राप्ति, उससे वंचित हो जाएं तो ये ठीक नहीं है। अगर आपका मन आपका साथ दे तो भगवत प्राप्ति के लिए समय निकालें।
मुनेश सिंह आगरा के छाता इलाके के रहने वाले हैं। उनके दो बच्चे हैं। पत्नी बच्चों के साथ गाजियाबाद में रहती हैं। वह डेढ़ साल से मेरठ में तैनात हैं। सिपाही से पुलिस में भर्ती हुए, फिर 2016 में दरोगा बने। मेरठ से पहले गाजियाबाद में तैनात थे।
मुनेश सिंह- महाराज जी, मैंने अपनी पूरी नौकरी में कई एनकाउंटर किए, मुझे बहुत से सम्मान से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति वीरता पदक भी मिल चुका है। पिछले साल 22 जनवरी को बदमाशों से मुठभेड़ के दौरान मुझे गोली लगी थी। प्रभु की कृपा से बच गया। मगर अब मेरा मन अशांत रहता है, प्रायश्चित कैसे करूं, मैं अपने पद पर ऐसे ही चलता रहूं या प्रभु की शरण में आ जाऊं?
प्रेमानंद महाराज ने कहा- नए लड़के जो फोर्स में जाने वाले हैं, उन्हें गाइड करें। उनको तैयार करें, रिटायर होकर भी आप सरकार की सेवा कर सकते हैं। अब जो जीवन बचा है, उसे भगवान को दे दो, अब जीवन को अखिल कोटि ब्रह्मांड सरकार के चरणों में लगा दो।
मुनेश सिंह ने कहा- मैं रात को ड्यूटी से आकर आपके प्रवचन को देर रात तक सुनता हूं। चाहे रात में 11-12 बजे कभी भी ड्यूटी से लौटूं। आपकी बातों को जरूर सुनता ही हूं। जब मैं 11 दिन अस्पताल में रहा, तब भी आपको सुनता रहा, बिना आपको सुने नींद नहीं आती।
प्रेमानंद – मनुष्य जीवन का मूल कर्तव्य भगवत प्राप्ति है। सांसारिक धर्म निर्वाह के चक्कर में मूल कर्तव्य से वंचित हो जाए तो ठीक नहीं है। अगर आपका मन आपका साथ दे तो भगवत प्राप्ति के लिए समय निकालिए। अब थोड़ा समय निकालकर भगवान के चरणों में दें, ताकि हमारी सेवाओं में जो चूक हुई, वो क्षमा हो जाएं। आपको जो पाप मिले हैं, वो भी दूर हो जाएं। अगला जन्म भी मिले तो हम देशभक्त बनें, भगवान के भक्त बनें।
हम मनुष्य योनि के नीचे न जाएं, अन्य योनियों के नीचे न जाएं। आधा जीवन तो आपने देश के नाम किया। अब भगवान को दे दीजिए। अपने समाज में रहकर आप रिटायर भी रहेंगे, तो जिसकी प्रवृत्ति अच्छी होती है। वो समाज में भी अच्छा वातावरण फैलाता है।