लखनऊ, 22 अप्रैल। प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की बिजली अप्रैल में महंगी हो गई है। बिजली बिलों में पहली बार 1.24% ईंधन और ऊर्जा खरीद समायोजन अधिभार (एफपीपीएएस) जुड़कर आया है यानी, अगर किसी उपभोक्ता का वास्तविक बिजली बिल 1000 रुपये था तो उसे एफपीपीएएस के तौर पर 12.40 रुपये अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा। पांच साल में यह पहला मौका है, जब बिजली दरें बढ़ाई गई हैं। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने इस साल आठ जनवरी को वितरण और पारेषण के लिए बहुवर्षीय टैरिफ नियमन के तीसरे संशोधन को मंजूरी दी थी। इसके तहत ईंधन, ऊर्जा खरीद समायोजन अधिभार मंजूर किया। जनवरी में कंपनियों ने 78.99 करोड़ सरप्लस आंका और समायोजन के लिए अप्रैल से 1.24% अधिभार लगा दिया गया।
इस अधिकार के तहत की गई वृद्धि
गौरतलब है कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन- 2025 के तहत बिजली कंपनियों को हर महीने फ्यूल एंड पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज तय करने का अधिकार दे दिया था. इस आयोग से मिले इसी अधिकार के तहत प्रदेश में पहली बार उपभोक्ताओं से फ्यूल सरचार्ज वसूलने का आदेश दिया गया है.
विद्युत उपभोक्ता परिषद करेगा विरोध
हालांकि विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली बिल में बढ़ोत्तरी का विरोध किया है. यूपी विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि UPPCL पर उपभोक्ताओं का 33122 करोड़ रुपए बकाया है. और UPPCL ने बिना उपभोक्ताओं के पैसे लौटाए यह वृद्धि की है. UP राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद इसका विरोध करेगा.
बदल सकती है दरें
नियामक आयोग के रेगुलेशन में हर माह सरचार्ज दरें तय करने का अधिकार ऊर्जा निगम को है। जैसे अप्रैल में जनवरी में ईंधन, ऊर्जा खरीद का खर्च समायोजन हुआ है, मई में फरवरी का समायोजन होगा। अप्रैल के बाद हर माह सरप्लस समायोजन के लिए अलग-अलग दरें तय की जाएंगी, जो कम या ज्यादा हो सकती हैं।